ऊतकों के असामान्य विभाजन एवं वृद्धि से होने वाली वह असामान्य स्थिति या बीमारी जो अंगों या ऊतकों के क्षय के लिए जिम्मेदार होती हैं, कैंसर कहलाती है। इसे ही मैग्निन (Malignancy) कहते हैं।
कैंसर उन सभी अंगों में हो सकता है जिसकी कोशिकायें विभाजन की क्षमता रखती हैं।
कोशिका का सामान्य विभाजन कोशिका में ही उपस्थित अवयवों द्वारा नियंत्रित होता है लेकिन आसमान्य स्थित में कोशिकाओं का विभाजन अनियंत्रित हो जाता है, इससे कोशिकाओं का अनियमित गुच्छा बन जाता है जिसे ट्यूमर (Tumor) अथवा नियोप्लाज्म (Neoplasm) या गिल्टी कहते हैं।
ट्यूमर (गिल्टी) दो प्रकार के होते हैं:
- बेनाइन ट्यूमर (Benign tumor)
- मैलिग्नेट ट्यूमर (Malignant tumor)
कैंसर क्या है? इसे हिंदी में क्या कहते हैं?
कैंसर एक गंभीर बीमारी है जिसमें शरीर के किसी भाग की कोशिकायें अनियंत्रित ग्रोथ कर गुच्छानुमा आकृति (ट्यूमर) बना लेती हैं, इसे आयुर्विज्ञान की भाषा में लाइपोमा (Lipoma) के नाम से भी जाना जाता है।
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ये ट्यूमर अपने आसपास की ग्रंथियों को भी अपनी चपेट में लेने लगती है और शरीर की सामान्य प्रक्रियाओं जैसे – रक्त, ऑक्सीजन या पोषक तत्वों के संचार को बाधित करने लगती हैं।
कैंसर को हिंदी में क्या कहते हैं? (Cancer in Hindi)
कैंसर एक अग्रेजी शब्द है इसे हिंदी में – नासूर कहते हैं।
लक्षण (Symptoms of Cancer in Hindi)
- मस्सों एवं तिल के आकार या रंग में अचानक परिवर्तन का होना।
- किसी भी अल्सर का इलाज करने पर भी ठीक नहीं होना।
- असाधारण और बार-बार रक्तस्राव का होना या अन्य स्राव का निकलना। महिलाओं में मासिक धर्म बंद हो जाने के पश्चात भी ऐसा होना।
- बिना दर्द के, शरीर के किसी भी भाग में असाधारण गाठ का निर्मित होना।
- चिरस्थायी कुपच या निगलने में कठिनाई।
- सामान्य स्वभाव में कोई भी परिवर्तन जैसे बार-बार अपच होना तथा खाने की चीजों को निगलने में परेशानी होना।
प्रकार (Types of Cancer)
शरीर में संक्रमित उत्तक के आधार पर इसके प्रकार निम्नलिखित है –
- सारकोमा (Sarcoma) – यह संयोजी उत्तक में गिल्टी के रूप में होने वाला कैंसर है जो कि अस्थि, उपास्थि की पेशियों में विकसित होता है। यह कुल कैंसर के 1% से 2% हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है।
- लिंफोमा (Lymphoma) – लसीका ऊतक में होने वाले कैंसर को लिंफोमा कहते हैं। इसकी पहचान लसीका गांठों तथा प्लीहा (Spleen) द्वारा अधिक मात्रा में लिंफोसाइट्स (Lymphocytes) के बनाए जाने से होती है, कुल कैंसर में इसकी 5% हिस्सेदारी होती है।
- कारसिनोमा (Carcinoma) – यह सबसे सामान्य प्रकार का कैंसर होता है तथा 85% कैंसर इसी प्रकार का होता है यह ठोस गिल्टी अर्थात ट्यूमर के रूप में शरीर की उपकला ऊतकों, तन्त्रिकीय ऊतकों तथा इनसे संबंधित ग्रंथियों में विकसित होता है। इसे त्वचा में बनने वाले कारसिनोमा के नाम से जाना जाता है।
- लाइपोसा (Liposa)- वसा ऊतक में पाए जाने वाले कैंसर को लाइपोसा कहते हैं।
- ल्यूकीमियास (Lu – kemias)- रुधिर कोशिकाओं को निर्मित करने वाली कोशिकाओं में होने वाली कैंसर को ल्यूकेमिया (Leukemia) कहते हैं। ल्यूकेमिया को ही ब्लड या रुधिर कैंसर कहते हैं। मनुष्य में पाया जाने वाला 4% कैंसर इस प्रकार का होता है इसे केवल “कैंसर” के नाम से ज्यादा जाना जाता है।
- टीरेटोमास (Teratomas)- यह भ्रूणोद्भवन के क्रम में कोशिकाओं में विविध प्रकार के भिन्नन के समय विकसित होता है।
- गि्लयोमास (Gliomas)- केंद्रीय तंत्रिका तंत्र, अवलम्बन कोशिकाओं में होने वाले कैंसर को गि्लयोमास कहते हैं।
- मेलैनोमास (Melanomas)- यह वर्णक कोशिकाओं में गिल्टी (Tumors) के रूप में होता है।
कैंसर कोशिकाओं के लक्षण (Symptoms of cancer cells)
सामान्य कोशिकाओं की तुलना में कैंसर कोशिकाओं में कुछ विशेषताएं तथा अनियमिततायें पाई जाती हैं जिन्हें इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की सहायता से आसानी देखा जा सकता है:
- कैंसर कोशिकाओं की अपनी अपरिवर्तित कोशिका झिल्ली (Plasma membrane) तो होती है लेकिन इनमें कभी-कभी म्यूकोपॉलिसैकेराइड (Mucopolysaccharide) का निर्माण कोशिका की सतह पर पाया जाता है।
- इन कोशिकाओं का केंद्रक अत्यधिक बड़ा होता है। केंन्द्रकीय झिल्ली (Nuclear membrane) अनियमित होती है। क्रोमैटिन कणिकाएं अनियमित रूप से वितरित होती है। कैंसर कोशिकाओं में RNA तथा प्रोटीन कणिकाओं की मात्रा अपेक्षाकृत अधिक होता है।
- केंन्द्रक हाइपरट्रॉफी (Hypertrophy) क्रिया को दर्शाता है। बड़ी तथा अनियमित आकार वाली केंद्रक में बड़ी तथा अनियमित आकार की केंद्रिका (Nucleolus) उपस्थित होती है।
- कैंसर कोशिकाओं में अनियमित वृद्धि की क्षमता होती है। किसी अवस्था में ये कोशिकायें नए सामान ऊतक में प्रवेश कर सकते हैं। इस क्रम में ये कोशिकाये अपने वास्तविक स्थान से दूर शरीर के नए स्थान में स्थानांतरित होते रहते हैं।
- कैंसर कोशिका की कोशिका झिल्ली पर गैंगि्लियोसाइड (Ganglioside) नामक ग्लाइकोलिपिड कम सांद्र और केवल एक ही प्रकार का (GM3) पाया जाता है लेकिन सामान्य कोशिका की कोशिका झिल्ली की सतह पर यह चार (G. M. 1, G M. 2, G M. 3, G.M. 4) प्रकार का होता है।
कारण (Causes of cancer)
- आंतरिक या बाह्य त्वचीय स्तर में किसी उत्तेजक पदार्थ (ताप, विकिरण, धुआं आदि) के भौतिक रगड़ (Physical irritants) से कैंसर होता है।
- कुछ रसायनों जैसे निकोटीन (Nicotine) कोयला एवं पेट्रोलियम दहन के उत्पाद लेड एवं कीटनाशक के रसायनों के कारण भी यह हो जाता है।
- एक्स किरणे, पराबैगनी किरणे, कॉस्मिक किरणें, सर्वाधिक कैंसर जनक के रूप में जानी जाती है। इन विकिरणों के सम्पर्क से कैंसर होता है। जापान में द्वितीय विश्व युद्ध में गिराये गए परमाणु बम के विकिरण से आज की पीढ़ियों में भी ल्यूकेमिया का प्रतिशत 5 गुणा ज्यादा परिलक्षित होता हैं।
- कुछ विषणुओ में कैंसर पैदा करने के गुण होते हैं। ऐसे विषणुओ को आन्कोविषाणु (oncovirus) करते हैं – जैसे पालीयोमा विषाणु।
कैंसर से बचाव (Cancer prevention)
- नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
- धूम्रपान जैसे वीडी, विस्टल, आदि के सेवन से बचें।
- तंबाकू, पान मसाला, राजश्री, गुटखा, आदि का सेवन ना करें।
- खाद्य पदार्थों में कीटनाशक रसायनों का प्रयोग ना करें।
रोग निदान प्रक्रिया (Diagnosis Techniques)
- कैंसर की स्थिति को निर्धारित करने के लिए मैलिगि्ननैट कोशिकाओं का औतिकीय (Histological) अध्ययन
- रक्त में आसामान्य श्वेत रक्त कणिकाओं (WBC) की जाँच
- अस्थि मज्जा की बायोप्सी जांच
- आंतरिक अंगों का X- रे (x-ray) या सी.टी.स्कैन (C.T.Scans) अथवा एम.आर.आई. स्कैन (MRI. Scans)
- एण्टीबाॅडी – एंटीजन
- रेडियो आइसोटोप परीक्षण इत्यादि जैसी जांच प्रक्रियाओं का उपयोग किया जाता है।
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केंद्रीय तंत्रिका तंत्र या अन्य अंगों के कैंसर का पता लगाने के लिए प्रयुक्त होने वाली तकनीकों में सी.टी. स्कैन (CT Scans) तथा एम.आर.आई. स्कैन (MRI Scans) का उपयोग किया जाता है।
कंप्यूटर टोमोग्राफिक स्कैनिंग Computed Tomographic Scanning (CT Scan) –
- इस यंत्र से मस्तिष्क, मेरुदंड और रीढ़ – रज्जू, उदर इत्यादि की बीमारियों की पहचान कर सकते हैं।
- इसके द्वारा हम ट्यूमर (Tumor) और उसके विस्तार क्षेत्र, इत्यादि की जानकारी प्राप्त करते हैं।
2. मैग्नेटिक रेजोनेन्स इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging: MRI)
(i) यह मस्तिष्क के रोगो, स्पाइनल कॉर्ड के रोगों, ह्रदय रोगों संबंधी रुकावटों, पेशीय अस्थि रोगों के लिए सर्वाधिक उपयोगी तकनीक है।
इस प्रक्रिया से काफी सुरक्षित तरीके से महिलाओं के स्तन के ट्यूमर, ब्रोकोजेनिक कार्सिनोमआ (Bronchogenic Carcinoma) यकृत, किडनी गाल ब्लैडर तथा मस्तिष्क, गले आदि के ट्यूमर का पता लगाया जा सकता है।
कैंसर का उपचार (Treatment of cancer)
कैंसर का टीका (Vaccine) अभी तक विकसित नहीं हो पाया है किन्तु इसके उपचार के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनायी जाती है –
शल्य चिकित्सा (Surgery)- यह इलाज की सबसे सामान्य प्रक्रिया है। इसके अंतर्गत शल्य क्रिया के द्वारा कैंसर से ग्रसित ऊतकों या उत्तक पिंड को शरीर से अलग कर दिया जाता है।
रेडियोथेरेपी (Radiotherapy)- इस प्रक्रिया में कैंसर की प्रकृति के अनुसार शरीर के निश्चित क्षेत्र को आयोनाइजिंग रेडियेशन द्वारा सावधानीपूर्वक उपचारित किया जाता है। इस प्रक्रिया में गांठ के खास हिस्से का चुनाव कर प्रत्येक दिन एक निश्चित समय पर रेडियेशन दिया जाता है।
उर्जा की अवशोषित इकाई मात्रा ग्रेय होती हैं जो एक जूल प्रति किलोग्राम के बराबर होता है। प्रभावित क्षेत्र में ही रेडियेशन का प्रयोग सावधानी पूर्वक करने की प्रक्रिया अत्यंत महत्व रखती है क्योंकि रेडिएशन से कोशिकाये तेजी से विनिष्ट होती हैं।
सामान्यतः सर्जरी के पश्चात उस स्थल में उपचार के लिए विकिरण का भी प्रयोग किया जाता है।
कीमोथेरेपी (Chemotherapy)- कैंसर के उपचार के लिए अलग-अलग प्रकार के रसायनों का भी उपयोग किया जाता है जोकि समेकित रूप से कीमोथेरेपी कहलाती है।
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