विधेयक की स्थितिः बीमा (संशोधन) विधेयक – 2021 : 15 मार्च 2021 को राज्यसभा (राज्यों की परिषद) में पेश किया गया था। बाद में इसे मंजूरी देकर लोकसभा मे स्थानांतरित कर दिया गया। यह विधेयक लोकसभा द्वारा भी पारित कर दिया गया है।
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नियमानुशार, यदि कोई भी विधेयक दोनों सदनों से पास हो जाता है तो इसे राष्ट्रपति की सहमति के लिए भेजा दिया जाता है।
राष्ट्रपति की सहमति मिलने के बाद यह विधेयक अधिनियम बन जाता है।
संबंधित मंत्रालय: कार्पोरेट मामले
बीमा (संशोधन) विधेयक, 2021 को कार्पोरेट मंत्री, श्री मती निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में पेश किया था।
बीमा (संशोधन) विधेयक – 2021 का उद्देश्य
- बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा को 49% से बढ़ाकर 74% करना।
ताकि बीमा कंपनियों को वित्तीय तनाव से निपटने में मदद मिल सके।
विधेयक का मुख्य उद्देश्य भारतीय बीमा कंपनियों में विदेशी निवेश की सीमा को 49% से बढ़ाकर 74% करना है। भारत में बीमा कंपनियां अभी भी गंभीर तरलता दबाव और पूंजी के साथ कठिनाइयों का सामना कर रही हैं। पिछले एक साल में कोविड महामारी ने स्थिति को और भयावर कर दिया है। पिछले कुछ वर्षों में FDI की सीमा 26 प्रतिशत से 49 प्रतिशत तक बढ जाने से इस क्षेत्र में वांछित बदलाव आया है। यह उम्मीद की जाती है, कि एफडीआई की सीमा को 74 प्रतिशत तक बढ़ाने से इस क्षेत्र में और सुधार होगा।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि – एफडीआई सीमा में वृद्धि से बीमा क्षेत्र में रोजगार सृजन होगा। भारत जैसे देश में जहाँ बेरोजगारी अपने चरम सीमा पर हैं, वहां इसका लाभ मिलेगा । भारत में, देश के समग्र आर्थिक विकास के लिए रोजगार सृजन हमेशा एक महत्वपूर्ण पहलू रहा है।
बीमा (संशोधन) विधेयक – 2021 विधेयक की मुख्य विशेषताएं
विनियमनः अधिनियम (बीमा संशोधन विधेयक, 2021) बीमा व्यवसायो के कामकाज के लिए ढांचा प्रदान करती है।
इसके अतिरिक्त यह निम्न के बीच संबंधों को भी नियंत्रित करता है –
- बीमाकर्ता
- उसके पाॅलिसी धारकों
- उसके शेयर धारकों और
- नियामक (भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिरण)
विदेशी निवेश: अभी तक, मूल अधिनियम (बीमा अधिनियम 1938 ) के प्रावधानों के अनुसार विदेशी निवेशक केवल, भारतीय इकाई के स्वामित्व और नियंत्रण के तहत किसी भारतीय बीमा कंपनी में 49% तक ही पूंजी रख सकते हैं।
हालाँकि, अब मूल विधेयक में संशोधन कर इस सीमा को 49% से बढाकर 74% कर दिया गया है।
इसके आलावा कंपनी के स्वामित्व और नियंत्रण से संबंधित प्रतिबंध कैप को भी हटाया गया है।
संपत्ति का निवेश: बीमा (संशोधन ) विधेयक, 2021 में बीमाकर्ताओं के लिए दिशा-निर्देश का प्रारूप भी देता है। बीमाकर्ता से आशय किसी – व्यक्ति या कंपनी से है जो बीमा पक्ष (आमतौर पर ग्राहक पक्ष) के दावे को निपटाने के लिए जिम्मेदार है।
इस अधिनियम, के तहत बीमाकर्ताओं को सभी संपत्तियों में न्यूनतम निवेश को जरूरी कर दिया गया है, जो कि उनकी बीमा दावा देनदारियों को पूरा करने के लिए पर्याप्त हो।
यदि बीमाकर्ता भारत के बाहर रहता है, तो उनकी संपत्ति को भारत के ट्रस्टियो के साथ निहित होना आवश्यक है।
इसके अलावा यह, बीमा अधिनियम, 1938 की धारा 27 की उप – धारा (7) के स्पष्टीकरण को प्रभावहीन भी करता है। इस अधिनियम, की प्रति यहां देखें
प्रत्यायोजित कानून: इस विधेयक का खंड 4, बीमा अधिनियम,1938 की धारा 114 में संशोधन करता है। जिसके अंतर्गत केंद्र सरकार विदेशी निवेश की शर्तें और तरीके के लिए धारा 2, खंड 7A के उपखंड (B) के तहत नियम बनातेें है ।
आलोचना
यह बिल निवेशकों की पूंजी को मौजूदा 49% से 74% तक बढ़ाने की अनुमति देता है।
भारतीय बीमा कंपनियों में यह बढ़ा हुआ योगदान विदेशी वर्चस्व पैदा करता है।
यदि विदेशी निवेशक, प्रॉफिट में रुचि ज्यादा रखेंगें, तो यह भारतीयों के हितों के लिए खतरनाक हो सकता है।
आगे का रास्ता
- विदेशी निवेश, उन भारतीय बीमा कंपनियों को पूंजी देकर और निवेश बढ़ा सकते हैं, जिनका अस्तित्व समाप्त होने को है।
- संभावित दीर्घकालिक विकास के लिए गुंजाइश सक्षम करता है।
- यह कमजोर बीमा कंपनियों की नई तकनीकि का उन्नयन करता है।
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