Guru Purnima: गुरु पूर्णिमा हिंदू कैलेंडर में सबसे महत्वपूर्ण तिथियों में से एक है, क्योंकि इस दिन लोग अपने गुरुओं (शिक्षकों / आकाओं) को श्रद्धांजलि देते हैं दिलचस्प बात यह है कि संस्कृत शब्द गुरु ( गु और रु ) से लिया गया है – जहां “गु” का अर्थ “अज्ञान/अंधकार” और “रु” का अर्थ “उन्मूलन” है। इसलिए गुरु वह है जो अपने छात्रों पर ज्ञान का प्रकाश बरसाकर अंधकार रूपी अज्ञानता को दूर करता है। इसलिए, छात्र अपने शिक्षकों को मूल्यों के साथ पोषित करने और शिक्षा प्रदान करने के लिए उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं।
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मुख्य विशेषताएं
- गुरु पूर्णिमा आषाढ़ के महीने में पूर्णिमा तिथि (पूर्णिमा दिवस) पर मनाई जाती है।
- यह वह दिन है जो महान भारतीय महाकाव्य महाभारत के लेखक वेद व्यास के जन्म की स्मृति में मनाया जाता है।
- यह गुरुओं (शिक्षकों और आकाओं) को समर्पित दिन है
गुरु पूर्णिमा भारतीय महाकाव्य महाभारत के लेखक वेद व्यास के जन्म का स्मरण कराती है। गुरु पूर्णिमा 2022 तिथि और अन्य विवरण जानने के लिए नीचे स्क्रॉल करें।
गुरु पूर्णिमा के बारे में कुछ जरूरी बातें
हिंदू संस्कृति में गुरु या शिक्षक को हमेशा भगवान के समान मान दिया गया है। गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा के दिन हम अपने गुरुओं को आभार व्यक्त करते हैं। गुरु एक संस्कृत शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ है – ‘वह जो हमें अज्ञान से मुक्त करता है‘। आषाढ़ के महीने में यह पूर्णिमा का दिन हिंदू धर्म में वर्ष के सबसे शुभ दिनों में से एक है।
भारत में 13 जुलाई, 2022 को गुरु पूर्णिमा मनाया जायेगा। गुरू पूर्णिमा का उत्सव वेद व्यास के जन्मदिन के महत्त्व को बढ़ाता है। वेद व्यास को पुराणों, महाभारत, वेदों और कुछ महत्वपूर्ण हिंदू ग्रंथों के लेखन के लिए सम्मान दिया जाता है।
गुरु पूर्णिमा 2022 की तिथि (Guru Purnima 2022 Date)
पूर्णिमा तिथि 13 जुलाई को प्रातः 04:15 बजे शुरू होगी और 14 जुलाई 2022 को प्रातः 12:21 बजे समाप्त होगी।
गुरु पूर्णिमा का महत्व (What is importance of Guru Purnima?)
Guru Purnima (गुरु पूर्णिमा) हमारे मन से अंधकार को दूर करने वाले शिक्षकों के सम्मान में मनाई जाती है। प्राचीन काल से ही इनके अनुयायियों के जीवन में इनका विशेष स्थान रहा है।

एक बहुत पुराना संस्कृत वाक्यांश ‘माता पिता गुरु दैवम’ कहता है, कि (पहला स्थान माता के लिए, दूसरा पिता के लिए, तीसरा गुरु के लिए और आगे भगवान के लिए) आरक्षित है। इसी तरह, हिंदू परंपरा में शिक्षकों को देवताओं से ऊंचा स्थान दिया गया है।
ऋषि वेद व्यास जी की जयंती
गुरु पूर्णिमा ऋषि वेद व्यास की जयंती के दिन मनाई जाती है। ऋषि वेद व्यास के बारे में बात करें तो वे सत्यवती और ऋषि पाराशर के पुत्र थे और उनका जन्म आषाढ़ पूर्णिमा तिथि को हुआ था। महाभारत के दस्तावेजीकरण के अलावा, महर्षि वेद व्यास ने वेदों को चार अलग-अलग ग्रंथों में वर्गीकृत किया और कई अन्य महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इन चार वेदों के नाम निम्नानुशार है –
- ऋग्वेद
- यजुर्वेद
- सामवेद
- अथर्ववेद
महर्षि वेद व्यास की विरासत को उनके शिष्यों पैला, वैशम्पायन, जैमिनी और सुमंतु ने आगे बढ़ाया। और उनके योगदान का सम्मान करने के लिए, भक्त उनकी जयंती पर व्यास पूजा करते हैं और उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा मानते हैं।
भगवान शिव – आदियोगी और सप्तऋषि
योगिक संस्कृति के अनुसार, भगवान शिव पहले गुरु या योगी हैं, जिन्होंने सप्तर्षियों (सात ऋषियों) को योग का ज्ञान दिया। वह हिमालय में एक योगी के रूप में प्रकट हुए और सात ऋषियों को योग विद्या प्रदान की। इसलिए उन्हें आदियोगी कहा जाता है।
गौतम बुद्ध का पहला उपदेश
आषाढ़ पूर्णिमा पर, बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त करने के बाद सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था। इसलिए, बौद्ध गौतम बुद्ध की शिक्षा के सम्मान में भी आज के दिन लोग गुरु पूर्णिमा का उत्सव मानते हैं ।
महावीर और इंद्रभूति गौतम
24 वें जैन तीर्थंकर कैवल्य को प्राप्त करने के बाद, भगवान महावीर ने गणधर इंद्रभूति गौतम (गौतम स्वामी) को अपना पहला शिष्य बनाया। इसलिए, यह जैन समुदाय के लिए बहुत महत्व का दिन है।
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गुरु पूर्णिमा कैसे मनाएं? (How to celebrate Guru Purnima?)
Guru Purnima आमतौर पर देवता तुल्य गुरुओं की पूजा और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करके मनाई जाती है। मठों और आश्रमों में, शिष्य अपने शिक्षकों के सम्मान में प्रार्थना करते हैं।
गुरु पूर्णिमा से जुड़ी विष्णु पूजा का काफी महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु के हजार नामों के रूप में जाने जाने वाले ‘विष्णु सहत्रनाम‘ का पाठ करना चाहिए।
इस शुभ दिन पर लोगों को चाहिए कि वे – स्वयं के साथ तालमेल बिठाएं और अपनी ऊर्जा को नई दिशा दें।
उपवास और खाद्य संस्कृति
बहुत सारे लोग गुरु पूर्णिमा के दिन उपवास रखते हैं, नमक, चावल और भारी भोजन जैसे मांसाहारी व्यंजन और अनाज से बने अन्य भोजन लने से परहेज करते हैं। हिन्दू संस्कृति के अनुशार इस दिन केवल दही या फल का सेवन अच्छा माना जाता है।
लोग शाम को पूजा करने के बाद अपना उपवास तोड़ते हैं। मंदिर प्रसाद और चरणामृत वितरित करते हैं, जिसमें ताजे फल और मीठा दही होता है।
अधिकांश घरों में लोग गुरु पूर्णिमा पर सख्त शाकाहारी भोजन के साथ कुछ विशेष पकवान, मिठाइयाँ और फल जैसे – खिचड़ी, पूरी, छोले, हलवा, सोन पापड़ी, बर्फी, लड्डू, गुलाब जामुन आदि मिठाईयाँ खाते हैं।
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