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कारक किसे कहते हैं? और कारक के कितने भेद होते हैं?

Karak in Hindi: कारक किसे कहते हैं और कारक के भेद क्या हैं?

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क्या आपने भी अभी-अभी हिन्दी व्याकरण पढ़ना शुरू किया है और ये सोच रहे हैं कि कारक किसे कहते हैं और कारक के कितने भेद होते हैं?

कारक को बताने के लिए संज्ञा या सर्वनाम के साथ जो चिन्ह लगाए जाते हैं, उन्हे विभक्तियाँ कहते हैं और इन्ही विभक्ति के चिन्हो को कारक चिन्ह या परसर्ग कहते हैं।

कारक चिन्ह जैसे – ने, को, में, पर, के किए आदि को परसर्ग कहते हैं। परसर्ग अंग्रेजी शब्द Postposition का हिन्दी समतुल्य है। सामान्यतः एकवचन और बहुवचन दोनों मे एक ही परसर्ग का प्रयोग किया जाता है। वचन का प्रभाव परसर्ग पर नही पड़ता है परन्तु संबंध कारक परसर्ग इसका अपवाद है।

कारक किसे कहते है?

संज्ञा या सर्वनाम का वह रूप जिससे वाक्य के अन्य शब्दों के साथ सम्बंध का बोध हो कारक कहलता हैं।

करक का शाब्दिक अर्थ, ‘क्रिया को कराने वाला’ अर्थात क्रिया के साथ जिसका सीधा संबध हो, उसे कारक कहते है। कारक आठ प्रकार के होते जो नीचे निम्नांकित किये गए हैं।

कारक के भेद

हिन्दी भाषा मे कारक के आठ भेद होते हैं। कारक के इन सभी भेदों के नाम और उनके कारक-चिन्ह इस प्रकार हैं –

कारक कारक – चिन्ह उदाहरण
कर्ता नेमैंने पानी पिया ।
कर्मकोगीता ने रीता को पत्र लिखा।
करणसे, द्वारामैं बस से गाँव जाऊंगा।
संप्रदान के लिए मैं पढ़ने के लिए अमेरिका जाऊंगा।
अपादान से (अलग होने के अर्थ में )कबीर दो नंबर से अनुत्रीण हो गया।
संबंधका, की, के, रा, री, रे, ना, नी, ने यह मेरे शिक्षक का घर है।
अधिकरणमें, परमैं अपने घर में ही रहूँगा।
सम्बोधनहे !, अरे!, ओ!अरे ! यह तो अनर्थ हो गया।

नोट – सम्बोधन के कारक चिन्ह हे!, अरे!, ओ! आदि प्रायः वाक्य के पूर्व में ही लगाए जाते हैं।

कारक चिन्हों को याद करने की ट्रिक –

“कर्ता ने अरु कर्म को, करण रीति से जान ।
संप्रदान को, के लिए, अपादान से मान ।।
का, के, की संबंध हैं, अधिकरणादिक मे मान ।
रे! हे! हो! सम्बोधन, मित्र धरहु यह ध्यान ।।”

1. कर्ता कारक – (ने )

परिभाषा – कर्ता का अर्थ होता है, करने वाला। अर्थात जिस शब्द से क्रिया के करने या होने का का बोध होता है, उसे कर्ता कारक कहते हैं।

सामान्यतः इसका चिन्ह ‘ने’ होता है। इस ‘ने’ चिन्ह का प्रयोग वर्तमानकाल और भविष्यकाल में नही होता है। इसका प्रयोग सकर्मक धातुयों के साथ भूतकाल में होता है।

(क) कार्य करने वाले के लिए कर्ता कारक का प्रयोग किया जाता है, जैसे –

(ख) कभी-कभी कारक चिन्ह ‘ने’ का प्रयोग नही किया जाता है । जैसे –

(ग) चाहिए, होना, पड़ता क्रियायों के साथ ‘ने’ का प्रयोग होता है। जैसे –

(घ) लाना, जाना, भूलना, बोलना, लगना, सकना आदि शब्दों के साथ ‘ने’ का लोप हो जाता है। जैसे –

(ङ) कर्मवाच्य और भाववाच्य मे ‘ने’ के स्थान पर ‘से’ का प्रयोग होता है। जैसे –

2. कर्म कारक – (को)

परिभाषा – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप पर कर्ता द्वारा की गई क्रिया का फल पड़ता है अर्थात जिस शब्द-रूप पर क्रिया का प्रभाव पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते हैं। जैसे –

कभी- कभी प्रधान कर्म के साथ परसर्ग ‘को’ का लोप हो जाता है। जैसे –

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3. करण कारक – (से , द्वारा)

परिभाषा – संज्ञा के जिस रूप से कार्य के सम्पन्न होने का बोध होता है अर्थात जिस साधन से क्रिया की जाए उसे कारण कारक कहते है।

4. संप्रदान कारक – (के लिए)

परिभाषा – संप्रदान का शाब्दिक अर्थ है – देना या प्रदान करना। वाक्य में कर्ता जिसे कुछ देता है अथवा जिसके लिए क्रिया करता है, वहाँ संप्रदान कारक होता है। जैसे –

5. अपादान कारक – (से अलग)

परिभाषा – वाक्य मे जब किसी एक संज्ञा या सर्वनाम का दूसरे वस्तु या व्यक्ति से अलग होने या तुलना करने का भाव प्रकट हो, तो वहाँ अपादान कारक होता है।

(A) वियोग, पृथकता या भिन्नता प्रकट करने के लिए –

(B) उत्पाति या निकास बताने के लिए –

(C) दूरी का बोध कराने के लिए –

(D) तुलना प्रकट करने के लिए

(E) मृत्यु का कारण बताने के लिए –

(F) कार्यारंभ का समय बताने के लिए –

(G) घृणा, लज्जा, उदासीनता के भाव प्रकट करने के लिए –

(H) रक्षा के अर्थ में –

(I) जिससे डर लगता है –

(J) वैर- विरोध या पराजय के अर्थ में –

(K) जिससे शिक्षा प्राप्त की जाए –

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6. संबंध कारक – (का,के,की, ना,ने,नी, रा,रे,री)

परिभाषा – संज्ञा के जिस रूप से किसी वस्तु का दूसरी वस्तु के साथ संबंध प्रकट किया जाए वहाँ संबंध कारक होता है। जैसे –

7. अधिकरण कारक – (में, पर)

परिभाषा – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के आधार या काल का बोध होता है, वहाँ अधिकरण कारक होता है।

इसका प्रयोग समय, स्थान, दूरी, कारण, तुलना, मूल्य आदि आधार सूचक भावों के लिए भी होता है। जैसे –

8. सम्बोधन कारक – (हे!, अरे!, ओ!)

परिभाषा – संज्ञा के जिस रूप से किसी को बुलाने, पुकारने या सचेत करने का बोध हो, उसे सम्बोधन कारक कहते हैं। जैसे –

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