सुहागिन महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला करवाचौथ पर्व 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। अखंड सुहाग के लिए महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखेंगी। रात में चंद्र दर्शन और पूजन के साथ इसका समापन होगा ।
इस बार चंद्रोदय रोहिणी नक्षत्र में होगा, वहीं इस दिन सूर्य के अधिपत्य वाला दिवस रविवार रहेगा। इस कारण इस दिन सूर्य व चंद्र देव दोनों की कृपा बरसेगी। इस दिन संकष्टी गणेश चतुर्थी भी रहेगी। भगवान गणेश का दिन होने से यह दिवस मंगलकारी रहेगा।
ऐसे में सुहागिनों को करवाचौथ पर गणेश, सूर्य और चंद्र देव का आशीर्वाद मिलेगा। ज्योतिषियों के अनुसार ऐसा संयोग 8 साल बाद बना है इसका विशेष शुभ मुहूर्त शाम 6.55 से शुरू होकर रात 9.51 तक रहेगा चंद्रोदय रात 8.06 तो कही कही 8.11 बजे होगा।
करवाचौथ क्यों मनाया जाता है?
करवाचौथ नीर्जला व्रत के रूप में भी जाना जाता है, करवाचौथ एक दिवसीय त्योहार है जहां विवाहित हिंदू महिलाएं अपने पति के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए उपवास रखती हैं। वे सूर्योदय के साथ अपना उपवास शुरू करती है। जो पूरे दिन चंद्रोदय तक रहता है।
महिलाएं कुछ भी नहीं खाती-पीती हैं और भगवान शिव की पूजा करती हैं। वे विभिन्न प्रसाद बनाने और चंद्रमा को देखने के बाद अपना उपवास तोड़ती हैं, जो हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार चंद्रमा सबसे महत्वपूर्ण खगोलीय पिंडों में से एक है।
करवाचौथ में महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और उन्हें किसी भी नुकसान या कठिनाइयों से बचाने के लिए प्रार्थना करती हैं। यह भी माना जाता है कि यह त्योहार उनके वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और आनंद लाता है।
व्रत – पूजा की विधि
1. चौका बनाएं और आसन पर गौरी – गणेश की स्थापना करें
पंडितों के अनुसार सुबह स्नानादि के बाद ‘मम सुख सौभाग्य पुत्र पौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करके चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये‘ मंत्र का जाप कर व्रत का संकल्प लें
चौका बनाकर आसन रखें और गौरी गणेश की स्थापना करें। गौरी का शृंगार करें। करवा में गेहूं और शक्कर का बूरा भर दें। रोली से करवा पर स्वास्तिक बनाएं और गौरी – गणेश और करवा की पूजा करें। फिर ‘ नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्, प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे ‘ मंत्र का जाप कर पति की दीर्घायु की कामना करें। रात में छलनी की ओट से चंद्र दर्शन करें और अर्घ्य दें ।
2. चंद्रमा न दिखे, तब भी करें पूजा
मौसम की गड़बड़ी से कई बार चंद्रमा दिखाई नहीं देता। ऐसे में ज्योतिषियों द्वारा बताए समय अनुसार चंद्रमा निकलने की दिशा की ओर पूजा कर अर्घ्य देना चाहिए। इससे दोष नहीं लगता ।
3. पूजा में राशि के अनुसार पहनें वस्त्र
- मेष : नारंगी या लाल
- वृषभ : स्लेटी या आसमानी
- मिथुन : पीला , केसरिया
- कर्क : पीला , हल्का नीला
- सिंह : गुलाबी , लाल
- कन्या : अरेंज या हरा
- तुला : हल्का नीला , बैंगनी
- वृश्चिक : ऑरेंज , लाल
- धनु : केसरिया या हरा
- मकर : कत्थई , नीला
- कुंभ : नीला , गुलाबी
- मीन : पीला , केसरिया
4. चंद्रमा को अर्घ्य देते समय करें सूर्य आराधना
ज्योतिषी कपिल शर्मा के अनुसार करवाचौथ रविवार को होने से सूर्य का इस दिन पर विशेष प्रभाव रहेगा। वर्तमान में सूर्य तुला राशि है। सायंकालीन गोचर में सूर्य पति के स्थान पर ही अवस्थित होगा, इसलिए चंद्रमा को अर्घ्य देते वक्त सूर्य संबंधी मंत्रों का उच्चारण करना भी लाभकारी रहेगा। जैसे –
- ओम चंद्राय नमः
- ओम घृणि आदित्याय नमः
- सूर्याय नमः मंत्र जाप भी किया जा सकता है ।
सुबह व्रत रखने के बाद से इन मंत्रों का जाप शुरू करना चाहिए। पूजा के बाद चलनी की ओट से चंद्र देव के दर्शन जरूर करना चाहिए ।
बाजार में सजीं दुकानें
शहर में महिलाओं ने करवाचौथ की तैयारियां शुरू कर दी हैं। बाजारों में भी करवा पूजन सामग्री की दुकानें सज चुकी हैं। महिलाओं ने पूजन व शृंगार की सामग्री की खरीदारी भी शुरु कर दी है।