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शिक्षा का महत्त्व क्या है? अर्थ, महत्त्व, परिभाषा, प्रकार और विशेषताएं

Importance of education in Hindi - शिक्षा का महत्त्व क्या है? अर्थ, परिभाषा, प्रकार और विशेषताएं

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शिक्षा व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, यह मानव विकास का मूल आधार है। मनुष्य इस संसार में असहाय अवस्था में अवतरित होता है किन्तु शिक्षा ही है जिसके माध्यम से उसके आत्मिक शक्तियों एवं शारीरिक, मानसिक क्षमताओं का विकास होता है। शिक्षा को ज्ञान ज्योति माना जाता है।

महात्मा गाँधी के अनुशार- शिक्षा का अर्थ केवल पुस्तकीय ज्ञान अर्जित करना नहीं है, बल्कि शिक्षा वो है जो लोगों के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करें।

इस लेख में हम आपको शिक्षा के उद्देश्य, महत्त्व, और विशेषताएं इत्यादि के बारे में आवश्यक जानकारी देंगे। इस लेख को आप शिक्षा के महत्त्व पर निबंध के रूप में भी उपयोग कर सकते हैं।

शिक्षा शब्द की उत्पत्ति

‘शिक्षा’ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के दो शब्दों ‘शिक्ष्’ और ‘शाक्ष्’ से मिलकर हुई है। शिक्ष्: का अर्थ है सीखना और शाक्ष् का अर्थ है सिखाना। इस प्रकार ‘शिक्षा’ शब्द का मतलब हुआ सीखने-सिखाने की क्रिया

अंग्रेजी में शिक्षा के लिए ‘एजुकेशन’ (Education) शब्द का प्रयोग किया जाता है। यह शब्द लैटिन भाषा के ‘एजुकेटम’ (Educatum) शब्द से बना है, जिसका अर्थ है ‘प्रशिक्षित करना‘। ‘एजुकेटम’ आगे दो शब्दों से मिलकर बना है:

शिक्षा की परिभाषाएं

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शिक्षा के प्रकार

वर्तमान में शिक्षा के तीन रूप प्रचलित हैं जो इस प्रकार हैं –

1. औपचारिक शिक्षा

यह विद्यालयों, महाविद्यालयों आदि में एक निर्धारित पाठ्यक्रम और समय के अनुशार दी जाने वाली शिक्षा है। इसमें समय और पाठ्यक्रम के साथ लोग और जगह भी निश्चित होते हैं और शिक्षा के अंत में परीक्षा ली जाती है। यह कठोर अनुशासन को प्राथमिकता देती है। इसे कक्षा-शिक्षण प्रणाली के नाम से भी जाना जाता है।

2. अनौपचारिक शिक्षा

रोज़मर्रा के जीवन में परिवार, समाज, मित्रों या अन्य अनुभवों से प्राप्त होने वाली शिक्षा को अनौपचारिक शिक्षा कहते हैं। यह एक मुक्त शिक्षा प्रणाली होती है इसमें कुछ भी निश्चित नहीं होता बल्कि बालक स्वयं अपने अनुकरण से सीखता है। वायगोत्स्की का सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत इसी शिक्षा पर आधारित है।

3. निरौपचारिक शिक्षा (Non formal education)

यह शिक्षा का एक लचीला स्वरूप है जो कुछ उद्देश्यों के साथ दी जाती है, किंतु समय-सारणी एवं स्थान के मामले में औपचारिक शिक्षा जैसी कठोर नहीं होती।

शिक्षा का उद्देश्य

शिक्षा का मूल उद्देश्य किसी व्यक्ति में आत्म-ज्ञान, संयम और सहानुभूति जैसे गुणों का विकास करना है इसके अतिरिक्त इसके उद्देश्यों में:

अरबिंदो के अनुशार शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य उस छिपी हुई आत्मा को बाहर निकलना होना चाहिए जो सर्वोत्तम है तथा इसे उचित प्रयोग के लिए उत्तम बनाना है।

आवश्यकता और महत्त्व

जिस प्रकार मनुष्य के शरीर में विकास के लिए भोजन की आवश्यकता होती है, ठीक उसी प्रकार मनुष्य के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास हेतु शिक्षा अत्यंत आवश्यक है।

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। शिक्षा के द्वारा ही शिशु बड़ा होकर समाज का उपयोगी एवं सक्रिय सदस्य बनता है। शिक्षा सीखने और सिखाने की प्रक्रिया है, जो जीवन से लेकर मृत्यु तक चलती रहती है। शिक्षा का महत्व निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:

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शिक्षा की प्रकृति एवं विशेषताएं

शिक्षा की प्रकृति एवं विशेषताएं कुछ इस प्रकार हैं

विशेषताएं –

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निष्कर्ष

शिक्षा मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह व्यक्ति और समाज के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। शिक्षा से व्यक्ति को ज्ञान, कौशल, और आत्मनिर्भरता प्राप्त होती है। शिक्षा समाज में फैली बुराइयों, जैसे- अंधविश्वास, जातिवाद, और लैंगिक भेदभाव को दूर करने और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शिक्षा राष्ट्रीय विकास के लिए भी आवश्यक है।

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