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साइमन कमीशन भारत कब और क्यों आया? इसके प्रमुख सुझाव क्या थे?

साइमन कमीशन | Simon Commission in Hindi

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साइमन कमीशन, जिसे आधिकारिक तौर पर भारतीय सांविधिक आयोग के नाम से जाना जाता है, सर जॉन साइमन की अध्यक्षता में ब्रिटिश संसद के सात सदस्यों का एक समूह था।

ब्रिटिश सरकार ने नवंबर 1927 में भारत सरकार अधिनियम 1919 (Government of India Act 1919) के तहत भारत की संवैधानिक प्रगति की समीक्षा और सुधारों के सुझाव देने के उद्देश्य से इसे गठित किया था।

साइमन आयोग से सम्बंधित महत्वपूर्ण बिंदु –

नामसाइमन कमीशन / साइमन आयोग
अन्य नामभारतीय सांविधिक आयोग
गठन वर्ष1927
अध्यक्षसर जॉन साइमन
कुल सदस्यसात
भारत कब आयाफरवरी 3, 1928
प्रतिवेदन कब प्रस्तुत किया1930 में

भारत में आगमन और विरोध

नवंबर 1927 में, ब्रिटिश सरकार ने “सात सदस्यीय” वाले एक आयोग के गठन की घोषणा की जिसके अध्यक्ष सर जॉन ऑलसेब्रुक साइमन थे, चेयरमैन के नाम पर ही इस आयोग को साइमन आयोग कहा गया।

साइमन कमीशन 3 फरवरी, 1928 को भारत आया। आयोग के सभी सदस्य ब्रिटिश (गोरे लोग) थे इसलिए भारत के सभी दलों ने इसका व्यापक विरोध किया।

आयोग द्वारा 1930 में ब्रिटिश संसद को रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद इसे भंग कर दिया गया। इसने अपनी रिपोर्ट में भारत में विभिन्न प्रशासनिक सुधारों का सुझाव दिया। भारत में बढ़ते राष्ट्रवाद और पूर्ण स्वतंत्रता की मांग के संदर्भ में, आयोग को औपनिवेशिक शासन को बनाए रखने के एक उपकरण के रूप में भी देखा गया।

साइमन कमीशन की सिफारिशें (Recommendations)

सांविधिक आयोग का लगभग सभी भारतीयों ने विरोध किया और उसे वापस जाना पड़ा, हालाँकि, आयोग ने वर्ष 1930 में ब्रिटिश पार्लियामेंट को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें इसने निम्नलिखित सुझाव दिए –

  1. प्रांतों में द्विशासन (Diarchy) का उन्मूलन, जो कि भारत सरकार अधिनियम (1919) के तहत शुरू की गई थी।
  2. प्रांतों में जिम्मेदार सरकार का विस्तार, जिससे भारतीयों का प्रांतीय प्रशासन पर अधिक नियंत्रण होगा।
  3. केंद्र में उत्तरदायित्व नहीं, हालांकि, केंद्र में उत्तरदायी सरकार की शुरूआत के खिलाफ सिफारिश की गई।
  4. एक अखिल भारतीय संघ (All-India Federation) के कांसेप्ट का प्रस्ताव, जिसमें प्रांतों और रियासतों दोनों को शामिल किया गया था।
  5. सांप्रदायिक निर्वाचन क्षेत्रों की निरंतरता।

आयोग के बाद के प्रभाव

साइमन कमीशन की सिफारिशों ने भारतीय राजनीतिक नेताओं में भारी असंतोष पैदा किया। इस विरोध के कारण भारत और ब्रिटेन के बीच संबंध और बिगड़े। इसके बावजूद, आयोग की रिपोर्ट ने भावी संवैधानिक सुधारों की आधारशिला रखी।

आयोग के इन प्रस्तावों पर विचार करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने – ब्रिटिश सरकार, ब्रिटिश भारत और भारतीय रियासतों के प्रतिनिधित्व वाले “तीन गोलमेज सम्मेलन” का आयोजन किया। इस चर्चा के आधार पर “White Paper on Constitutional Reform” तैयार किया गया और इसे ब्रिटिश संसद की संयुक्त चयन समिति (Joint Select Committee) के समक्ष विचार-विमर्श हेतु भेजा गया।

बाद में, समिति की इन सिफारिशों पर आधारित कई प्रावधानों को भारत सरकार अधिनियम 1935 (Government of India Act of 1935) में (कुछ संशोधनों के साथ) शामिल कर लिया गया, जिसने भारतीय प्रांतों में सीमित स्व-शासन की शुरूआत की।

साइमन कमीशन (आयोग) के सदस्यों के नाम

साइमन आयोग, सर जॉन साइमन की अध्यक्षता में 7 सदस्यों का एक समूह था। उन सभी सदस्यों के नाम निम्नलिखित हैं –

  1. सर जॉन साइमन (Sir John Simon)
  2. क्लेमेंट आटली (Clement Attlee)
  3. हेरी लेवी-लाँशन (Harry Levy-Lawson)
  4. एडवर्ड कडोगन (Edward Cadogan)
  5. वेर्नन हर्टशन (Vernon Hartshorn)
  6. जार्ज लाने-फॉक्स (George Lane-Fox)
  7. डोनाल्ड हॉवर्ड (Donald Howard)

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उल्लेखनीय तथ्य

आयोग से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

साइमन कमीशन से संबंधित, परीक्षाओं में सबसे अधिक पूंछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्न नीचे दिए गए हैं –

प्रश्न 1: साइमन कमीशन भारत कब आया ?

उत्तर – ब्रिटिश संसद ने नवंबर, 1927 को सर जॉन साइमन की अध्यक्षता में इस आयोग का गठन कर दिया था और भारत जाने का निर्देश दिया और अंततः 3 फरवरी, 1928 को यह आयोग भारत पंहुचा।

प्रश्न 2: साइमन कमीशन के अध्यक्ष कौन थे?

उत्तर – इसके अध्यक्ष सर जॉन साइमन थे।

प्रश्न 3: साइमन कमीशन का बहिष्कार क्यों किया गया?

उत्तर – 19 अप्रैल, 1919 को अमृतसर में जलियांवाला बाग हत्याकांड में जनरल डायर द्वारा किए गए कृत्य से भारत के लोग पहले से ही आक्रोशित थे। अमृतसर नरसंहार के बाद से लोग लगातार ब्रिटिश सरकार के प्रति असंतोष दिखा रहे थे और स्वतंत्र भारत की मांग कर रहे थे।

ब्रिटिश सरकार ने 1928 में भारत में साइमन कमीशन भेजा लेकिन इस आयोग में कोई भी भारतीय सदस्य नहीं था, आयोग के सभी सदस्य ब्रिटिश थे इसलिए सभी दलों ने आयोग का बहिष्कार किया।

प्रश्न 4: साइमन कमीशन में कितने सदस्य थे?

उत्तर – इस आयोग में कुल 7 सदस्य थे, सभी अंग्रेज थे, समूह में कोई भारतीय सदस्य नहीं था।

प्रश्न 5: साइमन कमीशन ने अपनी रिपोर्ट कब प्रस्तुत की?

उत्तर – इस आयोग का भारतीयों ने जमकर विरोध किया इसलिए इसे वापस जाना पड़ा किन्तु ब्रिटेन जाकर इसने वर्ष 1930 में ब्रिटिश संसद को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें भारत में कई प्रमुख प्रशासनिक सुधारों की सिफारिशें की गई थी।

प्रश्न 6: भारत में साइमन कमीशन किस शहर में पहले आया?

उत्तर – उत्तर – 30 अक्टूबर 1928 को आयोग सबसे पहले लाहौर पहुंचा। भारतीयों ने इसका स्वागत नहीं किया बल्कि एक विशाल जनसमूह इकट्ठा हुआ और काले झंडों (जिस पर लिखा था – “साइमन वापस जाओ”) के साथ आयोग का विरोध किया। प्रदर्शनकारियों ने भारत छोड़ो जैसे नारे भी लगाए।

प्रश्न 6: फरवरी 1928 में पंजाब की विधानसभा में आयोग के खिलाफ प्रस्ताव पेश करने वाले विपक्ष के नेता कौन थे?

उत्तर – लाला लाजपत राय।

प्रश्न 7: 17 नवंबर, 1928 को विरोध के दौरान पुलिस की बर्बरता के कारण किस प्रमुख व्यक्ति की मृत्यु हो गई?

उत्तर – राष्ट्रवादी लाला लाजपत राय वो व्यक्ति थे जिन्होंने पंजाब की विधान सभा में पहली बार आयोग के खिलाफ एक प्रस्ताव (फरवरी, 1928) पेश किया था। 30 अक्टूबर 1928 को आयोग लाहौर पहुंचा, जहां प्रदर्शनकारियों ने काले झंडे दिखाकर आयोग के आगमन के विरुद्ध प्रदर्शन किया। भीड़ को जबरन तितर-बितर करने के लिए स्थानीय पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को बेरहमी से पीटा जिसमें लाला लाजपत राय गंभीर रूप से घायल हो गए और कुछ दिनों बाद उनकी मृत्यु हो गई।

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