CC और BCC क्या है?: आज के समय में ई-मेल (E-mail) का उपयोग सभी लोग करते हैं किन्तु CC या BCC (सीसी या बीसीसी) के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। अधिकांश लोग लोग ई-मेल में केवल to के सामने पाने वाले की ईमेल आईडी लिखकर ईमेल भेज देते हैं वो सीसी या बीसीसी (CC or BCC) विकल्प का उपयोग ही नही करते।
हालाँकि अगर बात करें तो ये विकल्प बहुत काम के होते हैं, Gmail, Yahoo, Microsoft Outlook और Mozilla Thunderbird सहित अधिकांश ईमेल (e-mail) प्रदाता कम्पनियाँ पोर्टल पर आपको इसकी सुविधा देती हैं कि आप एक साथ कई व्यक्तियों को ईमेल भेज सकें।
जब आप किसी व्यक्ति को Email भेजते हैं तो आपके सामने To, CC, BCC और Subject ये चारो ऑप्शन्स दिखाई देते हैं। लेकिन कई व्यक्तियों को सटीक रूप से ये नहीं पता होगा कि किस ऑप्शन का उपयोग कब और किस लिये किया जाता है। मै प्रिया सिंह इस आर्टिकल में आपको बताउंगी कि इन ऑप्शन्स का उपयोग कब, कैसे और किस लिए किया जाता है।
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सीसी और बीसीसी के बारे में कुछ तथ्य (facts about CC and BCC)
- To ऑप्शन में उस व्यक्ति की Email ID डालते हैं जिस व्यक्ति को डायरेक्ट मेल करना होता है।
- CC ऑप्शन में हम उस व्यक्ति का Email ID डालते हैं जिसको हमें यह जानकारी देनी होती है कि किसे मेल भेजा गया है, उदाहरण के लिए मान लीजिये जैसे – आपने अपने बॉस या टीम लीडर को मेल भेजा है लेकिन उस मेल की जानकारी आप अपने HR को भी देना चाहते हैं तो आप सीसी (CC) ऑप्शन में अपने HR का ईमेल पता डाल देंगे। इस विकल्प के माध्यम से आप एक से अधिक लोगों को ईमेल भेज सकते हैं।
- सीसी (CC) भेजने का मुख्य लाभ यह है कि इसमें इस बात में अंतर स्पष्ट किया जा सकता है कि असल में वह ईमेल किसे भेजा गया है, क्योंकि यदि आप to में ही कई लोगों को ईमेल भेज देंगे तो प्राप्तकर्ताओं में यह भ्रम हो सकता है कि यह मेल आखिर मुख्य रूप से किसके लिया आया है।
- BCC ऑप्शन से आप एक साथ कई लोगों को ईमेल भेज सकतें हैं, इस विकल्प का प्रयोग करने पर सीसी (CC) या BCC (बीसीसी) वाले लोगों को यह जानकारी नहीं मिलती की ईमेल किस – किस के पास भेजा गया है। BCC (बीसीसी) ऑप्शन के द्वारा आप गुप्त रूप से किसी एक या कई अन्य लोगों को इमेल की प्रति (Copy) भेज सकते हैं।
सीसी क्या है? इसका मतलब और फुलफॉर्म (CC meaning and full form in email)
सीसी का हिंदी में फुलफॉर्म या पूरा नाम – “कार्बन प्रति” है (The full form of CC is – Carbon Copy). कार्बन प्रति का मतलब है – दूसरी प्रति या प्रतिलिपि।
अगर आप एक व्यक्ति को ई-मेल (E-mail) भेज रहे हैं और आप यह चाहते हैं कि कई लोगों को पता चले क्या ई-मेल भेजा गया हैं तो आप बाकी लोगों का ईमेल एड्रेस, CC field में डाल सकते हैं।
CC करने से सभी लोगों को पता चल जाएगा की यह ईमेल मुख्य रूप से किस के पास गया है या इसकी प्रति कितने लोगों को भेजी गई है। इसमें to और CC वाले सभी व्यक्तियों को आपस में एक – दूसरे के Email Address भी पता हो जाते हैं।
नहीं समझ में आया न ?
चलिए मैं आपको और सरल भाषा में एक उदाहरण के साथ समझाती हूँ –
मान लीजिये आपने to का ऑप्शन प्रयोग करकेआपने मुझे priya@ncert.infrexa.com पर ईमेल भेजा साथ में आपने मेरी दोस्त नेहा को सीसी (CC): neha@infrexa.com भी कर दिया। अब जरा सोचिये तो क्या होगा?
जब यह मेल मुझे आएगा तो इसमें मुझे सीसी (CC) के सामने नेहा का ई-मेल दिखेगा जिससे मुझे यह पता चल जायेगा कि यह ईमेल नेहा को भी भेजा गया है।
अब ठीक उसी तरह नेहा जब अपना ईमेल खोलेगी तो उसे भेजने वाले (Sender) के आलावा to के सामने मेरा ईमेल भी दिखेगा और इस प्रकार नेहा को भी यह पता चल जायेगा कि यह मेल मुख्य रूप से प्रिया को भेजा गया है जिसकी कॉपी उसके (नेहा) पास आई है।
इसमें भेजने वाले (Sender), और दोनों रिसिपिएंट (Recipient) –
- प्राप्त करने वाले (to) और
- सीसी वाले व्यक्ति (cc)
तीनो को परस्पर एक-दूसरे का ईमेल पता हो जाता है और यह भी पता चल जाता है कि यह ईमेल और किसको-किसको भेजा गया है।
CC का उपयोग कंपनी के कर्मचारियों द्वारा बहुत अधिक किया जाता है क्योकि कंपनी में कई व्यक्ति एक साथ मिलकर काम करते है। CC का उपयोग आप तब करते है जब आप किसी और को भी अपने भेजे गये ईमेल की Copy भेजना चाहते है।
हालांकि सभी यह चाहते है कि सबको पता रहे कि किसके पास क्या Email भेजा गया है लेकिन यदि आप सबको to में ईमेल भेज देंगें तो किसी को यह पता नही चल पायेगा कि वह मेन व्यक्ति कौन है जिसके लिए पास यह ईमेल भेजा गया है।
BCC क्या है? (BCC meaning in email)
बीसीसी का फुलफॉर्म – “ब्लाइंड कार्बन कॉपी” है (Full form of BCC is – “Blind Carbon Copy“) जब हम कई व्यक्तियों के पास ईमेल भेजते हैं और चाहते हैं कि उनको आपस में पता न चले कि किन – किन लोगों के पास ईमेल की कॉपी भेजी गई है तो आप BCC का उपयोग कर सकते हैं।
सीसी और बीसीसी में अन्तर (Difference Between CC and BCC)
जब आप सीसी (CC या Carbon Copy) करते हैं तो CC की लिस्ट वाले सभी ईमेल प्राप्त करने वाले व्यक्तियों को पता चल जाता है कि वह ईमेल किसको-किसको भेजा गया है।
लेकिन BCC (Blind Carbon Copy) करने से Email list छुप जाती है और किसी व्यक्ति को यह नही पता चलता कि, किस – किस के पास Email की carbon copy भेजी गई है
एक और बड़ा फर्क यह है कि CC list में उत्तर (reply) का भी पता चलता रहता है लेकिन BCC list में उत्तर छुप जाता है।
सीसी का उपयोग कब करें (When to use CC)
जब आप किसी व्यक्ति को ईमेल की Carbon copy भेजना चाहते हैं और यह भी चाहते हों कि जो मेरे माध्यम से Email ID की Carbon copy भेजी गयी है उसके बारे में सबको पता चले कि किस किस के पास Email ID की Carbon copy भेजी गयी है तो सीसी (CC) विकल्प का प्रयोग करें।
बीसीसी का उपयोग कब करें (When to use BCC)
BCC का उपयोग तब करें जब आप चाहते हो कि आप जिस व्यक्ति को ईमेल भेज रहे हैं उसको ये न पता चले कि इस ईमेल की प्रति किसी और को भी भेजी गई है।
सीसी के क्या- क्या लाभ होते है? (What are the benefits of CC)
- CC से आप एक या एक से अधिक लोगों की ईमेल आईडी पर ओरिजिनल ईमेल की नक़ल (Copy) भेज सकते हैं।
- सीसी में आप उन व्यक्तियों को रख सकते है जिन्हें आप सिर्फ ईमेल की एक Copy देना चाहते हैं – जैसे अपने HR, टीम लीडर या मैनेजमेंट इत्यादि को।
- यहाँ पर उन व्यक्तियों को रखा जाता है, जिनसे डायरेक्ट काम नहीं है, बस उस सूचना में पार्टनर बनाया गया है।
बीसीसी के क्या- क्या लाभ होते है (What are the benefits of BCC)?
- BCC के जरिये आप एक या एक से अधिक Recipients को ईमेल भेज सकते हैं।
- इस ऑप्शन का उपयोग कर आप किसी को गोपनीय रूप से ओरिजिनल ईमेल की कॉपी भेज सकते हैं, जैसे SEO, मलिक, Management आदि।
- यह Blind Carbon Copy है इसके बारे में केवल भेजने वाले और BCC में रहने वाले को पता होता है लेकिन जो भी TO और CC में होते है उन्हें BCC में रहने वाले व्यक्ति के बारे में कुछ नही पता चलता।
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