Site icon infrexa

डेंगू के लक्षण और उपचार

डेंगू के लक्षण

डेंगू के लक्षण और उपचार

डेंगू के लक्षण और उपचार: डेंगू एक मच्छर जनित वायरल संक्रमण है जो एडीज एजिप्टी नामक मादा मच्छर के काटने से फैलता है। डेंगू संक्रमण उष्णकटिबंधीय जलवायु (उच्च-तापमान) वाले क्षेत्रों में ज्यादा पाया जाता है।

डेंगू फैलाने वाले वायरस का नाम “डेन्व” (DENV) है जिसका शाब्दिक अर्थ – “चार बार संक्रमित होना” है।

डेंगू के लक्षण फ्लू के लक्षणों के समान होते हैं इसलिए बिना जांच के संक्रमण की पुष्टि कर पाना थोड़ा कठिन होता है।

डेंगू कितने प्रकार का होता है?

डेंगू के लक्षण और संक्रमण की गंभीरता के आधार पर डेंगू को दो प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है –

गंभीर डेंगू एक प्राणघातक बीमारी है और इसमें मृत्यु दर लगभग 20% के आसपास है किंतु कमजोर चिकित्सा-प्रबंधन और उपचार के अभाव में कुछ एशियाई देशों में डेंगू, मृत्यु का एक प्रमुख कारण बना हुआ है। डेंगू से यहाँ मरने वालों की संख्या अन्य महाद्वीपों से ज्यादा है।

पिछले कुछ दशकों में डेंगू संक्रमण में काफी तेजी से वृद्धि हुई है, विश्व भर में डेंगू से प्रति वर्ष संक्रमित होने वालों की अनुमानित संख्या लगभग 100 से 400 मिलियन के आसपास है।

डेंगू के लक्षण

डेंगू के लक्षण फ्लू के लक्षणों के समान ही होते हैं। कुछ लोग ए-सिंप्टोमेटिक होते हैं जिनमें डेगू के लक्षण दिखाई नहीं देते इसलिए पैथोलॉजी में जांच के बिना संक्रमण की पुष्टि कर पाना थोड़ा कठिन होता है।

सामान्यतः डेगू के लक्षण में तेज बुखार और मांसपेसियों में दर्द सबसे आम है।

बुखार104 डिग्री फारेनहाइट

यदि किसी को 104 डिग्री फारेनहाइट से अधिक बुखार के साथ नीचे दिए गए कम से कम 2 लक्षण दिखे तो उसे डेंगू संक्रमण होने की संभावना अधिक होती है –

गंभीर डेंगू के लक्षण

सामान्य डेंगू की पहचान ऊपर बताए गए लक्षणों के साथ की जा सकती है, किंतु गंभीर डेंगू की स्थिति में रोगी में कुछ नए लक्षण दिखाई देने लगते हैं। ये नए डेंगू के लक्षण आपको यह बताते हैं कि बीमारी अब अपने गंभीर रूप में आ गई है, दरअसल यह स्थिति काफी गुमराह करने वाली भी होती है क्योंकि 3-4 दिनों बाद रोगी का बुखार लगभग 100 डिग्री से नीचे घटने लगता है। ऐसे में मरीज सोंचता है कि वह ठीक हो रहा है।

यहाँ तक कि कई बार चिकित्सकों को भी लगने लगता है कि अब रोगी की हालत में सुधार हो रहा है जबकि इस स्थिति को “क्रिटिकल फेज” कहा जाता है। यह स्थिति रोगी के लिए प्राणघातक साबित होती है, क्योंकि इसमें आंतरिक रक्तस्राव के कारण रोगी की अचानक मृत्यु हो जाती है।

गंभीर डेंगू के लक्षण निम्नलिखित हैं –

किसी रोगी में यदि ये वाले डेंगू के लक्षण दिखे तो उसे तुरंत चिकित्सीय देखरेख में रख देना चाहिए।

डेंगू की जांच/निदान

डेंगू के लक्षण दिखने पर डॉक्टर आपको डेंगू की जांच की सलाह देता है और रिपोर्ट आने के बाद इलाज शुरू करता है। डेंगू के निदान के लिए कई विधियों का उपयोग किया जा सकता है जिसमें वायरोलॉजिकल परीक्षण या शिरोलॉजिकल परीक्षण शामिल हैं।

तकनीकी प्रकारपरीक्षण का नाम
वायरोलॉजिकल तकनीकी RT-PCR
सीरोलॉजिकल तकनीकीELISA
छाती में गैस के लक्षण: हार्ट अटैक या गैस का दर्द कैसे पहचानें?
Read – 2 Mins

वायरोलॉजिकल तकनीकी: वायरोलॉजिकल परीक्षण में वायरस के तत्वों का पता लगाया जाता है। इसमें RT-PCR (Reverse transcription – polymerase chain reaction) तकनीकी का उपयोग कर संक्रमित व्यक्ति के रक्त में वायरस के RNA/DNA या उसके द्वारा छोड़े गए NS – 1 नामक प्रोटीन की उपस्थिति की पुष्टि कर संक्रमण की स्थिति का पता लगाया जाता है।

यह तकनीकी काफी संवेदनशील होती है और व्यक्ति के संक्रमित होने के कुछ दिन बाद ही संक्रमण की स्थिति (पॉजिटिव/नेगेटिव) बता देती है। इसका मुख्य लाभ यह भी है कि जिन लोगों में डेंगू के लक्षण नहीं दिखते या जो ए-सिंप्टोमेटिक होते हैं, यह तकनीकी उनमें भी संक्रमण की स्थिति को स्पष्ट कर देती है।

सिरोलॉजिकल तकनीकी: सीरोलॉजिकल तकनीकी में एलिसा परीक्षण (ELISA) के द्वारा मरीज में एंटी-डेंगू एंटीबॉडीज की उपस्थिति का पता लगाया जाता है।

सामान्य तौर पर जब कोई वायरस हमारे इम्यून सिस्टम पर हमला करता है तो इम्यून सिस्टम अपने प्रतिरक्षा में एंटीबॉडीज निर्मित कर देता है। ये एंटीबॉडीज रोग से लड़ने में हमारे शरीर की मदद करती हैं।

सीरोलॉजी तकनीकी वायरोलॉजी तकनीकी से कम प्रभावी होती है क्योंकि यह शरीर में एंटीबॉडीज का पता लगाती है। यह तकनीकी कम प्रभावशाली इसलिए है क्योंकि यह एंटीबॉडीज की उपस्थिति के आधार पर परिणाम देती है। सामान्यतः जब हम किसी बीमारी से ग्रसित होते हैं तो हमारा इम्यून सिस्टम पहले रोग की पहचान करता है और उसी के अनुसार एंटीबॉडीज बनाता है।

वायरस को समझने और एंटीबॉडीज बनने की इस प्रक्रिया में लगभग 1 से 2 हफ्तों का समय लगता है, इसलिए एलिसा टेस्ट डेंगू के लक्षण दिखने के 2 हफ्ते बाद ही कराना चाहिए ताकि सही रिजल्ट मिल सके।

जो लोग ए-सिंप्टोमेटिक होते हैं या जिनमें डेंगू के लक्षण दिखाई नहीं देते उनके लिए यह परीक्षण ज्यादा उचित नहीं होता।

डेंगू उपचार / डेंगू का घरेलू इलाज

डेंगू का कोई विशेष उपचार नहीं है। डेंगू का इलाज डेंगू के लक्षणों के आधार पर किया जाता है जिसमें रोगी को प्रायः दर्द और बुखार कम करने की दवाइयां दी जाती हैं। घातक डेंगू होने पर रोगी को सपोर्टिव ट्रीटमेंट भी दिया जाता है, उदहारण के लिए – यदि किसी रोगी को साँस लेने में कठिनाई हो रही है तो उसे ऑक्सीजन दे दिया जाता है।

डेंगू का घरेलू उपचार: डेंगू के उपचार/इलाज के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखें कि रोगी के शरीर में तरल पदार्थ की मात्रा घटने ना पाए। इसलिए मरीज कोसमय-समय पर उबला पानी पीने को दें। इसके आलावा मरीज को नारियल पानी और जूस भी पिलाते रहना चाहिए।

मरीज को क्या पिलायें?दूध, नारियल पानी और जूस
मरीज को क्या खिलाएं?दाल, चावल, रोटी, हरी सब्जियां इत्यादि।

स्टेरॉयड, ब्रूफेन और एस्प्रिन जैसी दवाइयों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि यह रक्त को पतला कर देती हैं। डेंगू में प्लेटलेट्स घटने के कारण इन्टरनल ब्लीडिंग का खतरा पहले से ही रहता है, ऐसे में इन दवाइयों का सेवन रोगी के लिए जानलेवा साबित हो सकता है।

अक्सर पूंछे जाने वाले प्रश्न

डेंगू किस मच्छर के काटने से फैलता है?

डेंगू एडीज एजिप्टी नामक मादा मच्छरों के काटने से फैलता है।

डेंगू का संचरण कैसे होता है? क्या डेंगू एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को फैल सकता है?

नहीं। डेंगू एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को नहीं फैलता। डेंगू संक्रमित व्यक्ति के पास रहने से यह किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को नही फैलता है लेकिन ऐसा देखा गया है कि डेंगू संक्रमित मच्छर रोगी को काटने के बाद रोगी के कमरे में ही उपस्थित रहता है और इस कमरे में यदि स्वस्थ्य व्यक्ति जाता है तो यह मच्छर उसे भी काट कर संक्रमित कर सकता है। अतः प्रयास करना चाहिए कि रोगी के कमरे में एक भी मच्छर न रहे।

डेंगू का संचरण इस प्रकार से हो सकता है –

क्या डेंगू की कोई वैक्सीन है?

हाँ। देंग्वासियाँ (CYD – TDV) डेंगू की वैक्सीन है, यह अमेरिका के कुछ स्थानों में केवल 9 से 16 वर्षों के बच्चों के लिए ही उपलब्ध है। अन्य देशों के लिए इसकी उपयोगिता पर शोध अभी जारी है, यदि सकारात्मक परिणाम रहे तो इसे दुनिया के अन्य देशों में भी अपनाया जाएगा।

डेंगू से कैसे बचें?

डेंगू से बचने के लिए सबसे अच्छा उपाय यह है कि आप खुद को मच्छरों के काटने से बचाएं। इसके आलावा आप लिखित उपाय भी अपना सकते हैं –

Exit mobile version