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सूक्ष्म शिक्षण: परिभाषा, सिद्धांत, सोपान, विशेषताएं और महत्त्वपूर्ण किताबें

सूक्ष्म शिक्षण (Micro teaching in Hindi)

सूक्ष्म शिक्षण

सूक्ष्म शिक्षण (Micro teaching) शिक्षकों के लिए एक क्रांतिकारी प्रशिक्षण तकनीक है, जो उन्हें अपनी शिक्षण क्षमताओं को विकसित करने और बेहतर बनाने में मदद करती है।

यह एक नियंत्रित वातावरण में शिक्षण के एक छोटे से पहलू पर ध्यान केंद्रित करके, शिक्षकों को अपने कौशल को अधिक प्रभावी ढंग से विकसित करने में सक्षम बनाता है।

सूक्ष्म शिक्षण का विकास स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय, अमेरिका में सन् 1961 में रुचिसन बूश तथा एलेन द्वारा किया गया था। डॉ. एलेन ने सूक्ष्म शिक्षण के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य किए, इसलिए उन्हें सूक्ष्म शिक्षण का जनक भी कहा जाता है।

इस लेख में हम इस विषयवस्तु से सम्बंधित से सम्बंधित कई महत्वपुर्ण बिन्दुओं पर चर्चा करेंगे, जैसे कि: सूक्ष्म शिक्षण क्या है, इसकी परिभाषा, सिद्धांत, विशेषताएं, चक्र और पाठ योजना इत्यादि।

सूक्ष्म शिक्षण क्या है (What is Micro teaching)

सूक्ष्म शिक्षण से अभिप्राय – “कम समय में शिक्षण” से है। इस तकनीकी में एक विशेष समय सीमा के भीतर छात्रों को कैसे पढ़ाया जाए, इसका अध्ययन किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान शिक्षकों को एक छोटे समूह (5-10 छात्रों) के सामने एक छोटा पाठ (5-10 मिनट) पढ़ाने का अवसर प्रदान किया जाता है।

अतः इस प्रकार हम कह सकते हैं कि सूक्ष्म शिक्षण, प्रशिक्षण की एक ऐसी प्रणाली है जो शिक्षकों में शिक्षण कौशल विकसित करने का प्रयास करती हैं जैसे – लेख कौशल, प्रस्तावना कौशल, प्रश्नोत्तर कौशल, प्रदर्शन कौशल, व्याख्या कौशल, श्यामपट्ट कौशल, छात्र सहभागिता कौशल, उद्दीपन परिवर्तन कौशल, दृष्टांत कौशल, शिक्षण सामग्री उपयोग कौशल, खोज प्रश्न कौशल और पाठ समापन आदि।

सूक्ष्म शिक्षण कौशल (Micro teaching Skills)

यह कौशल शिक्षक प्रशिक्षण में एक तकनीक है जो शिक्षकों को अपने स्वयं के प्रदर्शन की समीक्षा करने एवं एक शिक्षक के रूप में उनकी क्षमता और कौशल विकसित करने का अवसर देती है।

परिभाषाएं (Definition)

सूक्ष्म-शिक्षण के संकल्पना को स्पष्ट करते हुए विभिन्न विद्वानों ने अपने-अपने दृष्टिकोण से इसे परिभाषित किया है, इसमें से कुछ महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ निम्नलिखित है –

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सूक्ष्म शिक्षण के सिद्धांत (Principles of Micro Teaching)

सूक्ष्म शिक्षण के कई महत्वपूर्ण सिद्धांत हैं जो इस शिक्षा प्रक्रिया को निर्देशित करते हैं। ये सिद्धांत शिक्षा के मूल्यों और धार्मिकताओं पर आधारित होते हैं और शिक्षकों को उनके शिक्षण कार्य में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। यहां कुछ मुख्य सिद्धांतों का उल्लेख किया गया है:

  1. आत्म-मूल्यांकन: शिक्षक को अपने कौशलों की समीक्षा करने का अवसर मिलता है, जिससे उन्हें अपने अधिकारिता और क्षमताओं को समझने का मौका मिलता है।
  2. संवेदनशीलता: शिक्षक को विद्यार्थियों के प्रति संवेदनशीलता और समर्थन प्रदान करना चाहिए, ताकि उन्हें शिक्षा प्रक्रिया में सहायक बनाया जा सके।
  3. प्रतिबद्धता का संरक्षण: शिक्षक को विद्यार्थियों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का संरक्षण करना चाहिए, ताकि वे शिक्षा प्रक्रिया में सक्षम रहें।
  4. पुनःप्राप्ति और सुधार: सूक्ष्म शिक्षण में, शिक्षक को अपने कौशलों को पुनःप्राप्त करने और सुधारने का मौका मिलता है।
  5. प्रतिस्पर्धा का उत्साह: शिक्षक को स्वयं को लगातार सुधारने का प्रेरणा देने के लिए प्रतिस्पर्धा के उत्साह को बढ़ाना चाहिए।
  6. सहयोगी शिक्षा: शिक्षक को विद्यार्थियों के साथ मिलकर काम करने की आदत डालनी चाहिए, ताकि सहयोगी शिक्षा का माहौल बना रहे।
  7. व्यक्तिगतीकरण: विभिन्न शिक्षा कोष्ठियों के अनुसार शिक्षा प्रक्रिया को व्यक्तिगत अनुकूलित किया जाना चाहिए।

इन सिद्धांतों के साथ, सूक्ष्म शिक्षण शिक्षकों को उनके कौशलों को संवारने और सुधारने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है।

सूक्ष्म शिक्षण के सोपान (Stages of Micro Teaching)

इसके 6 प्रमुख सोपान (stages) हैं:

1. पाठ योजना निर्माण (Construction of Lesson Plan):

2. कक्षा शिक्षण (Class Teaching):

3. प्रतिपुष्टि (Feedback):

4. पुनः पाठ – योजना (Re-Lesson planning):

5. पुनर्शिक्षण (Re-teaching):

6. पुनः प्रतिपुष्टि (Second feedback):

माइक्रो टीचिंग एक चक्रीय प्रक्रिया है। शिक्षक इन सोपानों को बार-बार दोहराते हैं, जिससे उन्हें अपनी शिक्षण क्षमताओं में निरंतर सुधार करने में मदद मिलती है।

पाठ योजना (Lesson plan)

सूक्ष्म शिक्षण के घटकों को ध्यान में रखते हुए बनाए गए पाठ योजना में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए:

सूक्ष्म शिक्षण के घटकों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई पाठ योजना शिक्षकों को अधिक प्रभावी ढंग से छात्रों को पढ़ाने और बेहतर शिक्षण परिणाम प्राप्त करने में मदद करती है। उदाहरण के लिए सूक्ष्म शिक्षण पाठ योजना Pdf का स्टैण्डर्ड फोर्मेट दिया जा रहा है जिसे आप नीचे दी गई बटन का उपयोग कर डाऊनलोड कर सकते हैं –

चक्र (पाठ योजना निर्माण (Construction of Lesson Plan)समय सीमा
कक्षा शिक्षण (Class teaching)6 मिनट
प्रतिपुष्टि (Feedback)6 मिनट
पुनः पाठ – योजना (Re-Lesson planning )12 मिनट
पुनर्शिक्षण (Re-teaching)6 मिनट
पुनः प्रतिपुष्टि (Second feedback)6 मिनट

सूक्ष्म-शिक्षण की विशेषताएं (Characteristics of Micro Teaching)

सूक्ष्म-शिक्षण की उपयोगिता (Utility of Micro Teaching)

इसकी उपयोगिता निम्नलिखित क्षेत्रों में देखी जा सकती है:

महत्त्वपूर्ण किताबें (Important books)

सूक्ष्म शिक्षण के लिए महत्वपूर्ण किताबों की सूची यहाँ उपलब्ध करवाई है, इन किताबों की मूल्य, उपलब्धता, लेखक नाम या रिव्यू इत्यादि की जानकारी के लिए आप दिए गए पेज विजिट कर सकते हैं।

सूक्ष्म शिक्षण पीडीएफ (Micro teaching pdf)

सूक्ष्म शिक्षण पीडीएफ नीचे उपलब्ध करवाई गई है, इसे डाऊनलोड (Download) करने के लिए नीचे दी गई बटन पर क्लिक करें –

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