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धारा 154 (3) CrPC – यदि पुलिस FIR ना लिखे तो क्या करें?

यदि पुलिस FIR न लिखे तो क्या करें - What to do if police is not registering FIR

यदि पुलिस FIR न लिखे तो क्या करें - What to do if police is not registering FIR

आपने कई बार सुना होगा कि किसी के साथ कोई अपराध घटित हो जाता है, और वह पुलिस स्टेशन में जाता है, लेकिन उसकी कोई सुनता नहीं। यहाँ तक कि कई बार बड़ी वारदात हो जाने के बाद भी फरियादी की FIR (एफ.आई.आर) थाने में नहीं लिखी जाती हैं।

ऐसा अक्सर तब होता है जब अपराधी बड़ी पहुंच वाला होता है या अपराधी का क्षेत्रीय वर्चस्व बहुत ज्यादा होता है। विक्टिम को न्याय दिलाने के लिए क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में न्याय का पहला दरवाजा पुलिस स्टेशन ही होता है। लेकिन यदि पुलिस ही FIR (एफ.आई.आर) ना दर्ज करें तो पीड़ित व्यक्ति के पास कोई विकल्प ही नहीं रह जाता है और उसे निराश होना पड़ता हैै।

अंग्रेजी में एक कहावत है Delayed justice is denied justice अर्थात एफ.आई.आर में विलंब हो तो भी यह एक प्रकार का अन्याय ही है ऐसे में सवाल यह है कि बिना किसी देरी के एफआईआर आखिर कैसे लिखवाई जाए?

इस लेख में आज हम आपको 3 तरीके बतायेंगे जिसके माध्यम से आप बिना देरी के अपनी FIR थाने में लिखवा सकते हैं। नियम के अनुसार यदि कोई घटना घटित हो तो सर्वप्रथम इसकी सूचना निकटतम पुलिस स्टेशन को ही देना चाहिए किन्तु –

धारा 154 (1) CrPC – FIR लिखवाने का पहला तरीका

पहला पहला तरीका यह है कि आप नजदीकी पुलिस स्टेशन में उपस्थित होकर धारा 154 CrPC के तहत अपराध की सूचना पुलिस को दें और पुलिस से कार्यवायी की मांग करें। लिखित आवेदन या मौखिक रिपोर्ट लिखवाने के बाद पुलिस से पावती या रिपोर्ट की नक़ल अवश्य रूप से लें।

धारा 154 (1) CrPC के अनुसार यदि किसी संज्ञेय अपराध की सूचना किसी थाने में मौखिक या लिखित रूप से दी जाती है तो पुलिस उस पर कार्यवाही के लिए बाध्य होगी।

यदि अपराध की सूचना मौखिक रूप से दी गई है तो संबंधित पुलिस उसे लिखित आवेदन के रूप में परिवर्तित करेगी और सूचनाकर्ता का हस्ताक्षर करवाकर उस पर एफ.आई.आर (FIR) दर्ज कर कार्यवाही सुनिश्चित करेगी।

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धारा 154 (3) CrPC – FIR लिखवाने का दूसरा तरीका

यदि पहली प्रक्रिया के बाद भी पुलिस ने आपके प्रकरण पर FIR नहीं लिखा है तो धारा 154 (3) CrPC में आप अपनी शिकायत जिले के पुलिस अधीक्षक को भेजें। SP को शिकायत भेजते समय यह ध्यान रखें कि – थाने स्तर पर शिकायत करने के बाद आपको जो पावती मिली थी उसकी प्रतिलिपि भी इस शिकायत के साथ संलग्न करना है।

धारा 154 (3) CrPC में यह स्पष्ट किया गया है कि – किसी भी व्यक्ति की रिपोर्ट अगर पुलिस लिखने से मना करती है अथवा वह व्यक्ति पुलिस की कार्यवाही से व्यथित या असंतुष्ट है तो वह स्पीड पोस्ट के जरिये या खुद SP कार्यालय में जाकर सम्बंधित पुलिस अधीक्षक को लिखित प्रारूप में अपनी शिकायत दे/भेज सकता है।

शिकायत प्राप्त होते ही पुलिस अधीक्षक शिकायत में दिए गए तथ्य की परख करेंगा और यदि वह इस बात से संतुष्ट होता है कि शिकायत में संज्ञेय अपराध घटित हुआ है तो वह स्वयं या अपने अधीनस्थ पुलिस अधिकारी को उस मामले की जाँच/विवेचना करने के निर्देश देगा।

ध्यान देने वाली बात यह है कि आप इस बार भी अपनी शिकायत की पावती/ स्पीड पोस्ट की रसीद अपने पास संभाल कर रख लें।

धारा 156 (3) – FIR लिखवाने का तीसरा तरीका

यदि उपरोक्त दोनों तरीके अपनाने के बाद भी आप पुलिस की कार्यवाही से संतुष्ट नहीं है, और पुलिस आपकी एफआईआर नहीं लिख रही है तो आप इस तीसरे तरीकों को अपना सकते हैं।

तीसरा तरीका उपरोक्त दोनों तरीकों से ज्यादा प्रभावशाली है

तीसरे तरीके में आप धारा 156 (3) (जो धारा 190 CrPC के साथ पढ़ी जाती है) के अंतर्गत न्यायिक मजिस्ट्रेट को आवेदन देकर FIR की मांग कर सकते हैं।

धारा 156 (3) में शिकायत प्राप्त होते ही मजिस्ट्रेट द्वारा शिकायत का अवलोकन किया जाएगा, यदि मामला उसके क्षेत्राधिकार का है और वह शिकायत से संतुष्ट है तो वह मजिस्ट्रेट धारा 190 CrPC में अन्तर्निहित शक्तियों का प्रयोग कर सम्बंधित पुलिस स्टेशन को तत्काल FIR दर्ज करने का आदेश देगा।

यदि आवश्यक हुआ तो मजिस्ट्रेट उस मामलें की जाँच स्वयं एक टीम गठित कर करेगा।

ध्यान देने योग्य बातें:

इस लेख में हमने आपको बताया कि किस तरह आप कानून के दायरे में रहकर कर किसी अपराध के विरुद्ध FIR (एफ.आई.आर) दर्ज करा सकते हैं।

बताई गई प्रक्रियाओं में –

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लेखक का अनुभव

कई बार यह भी देखा गया है कि गंभीर अपराध हो जाने पर भी एफ.आई.आर (FIR) नहीं लिखी जाती खासकर मध्य भारत के कुछ इलाकों में ऐसा प्रचलन है कि यहां एफआईआर दर्ज नहीं की जाती बल्कि प्रभावशाली व्यक्तियों के द्वारा करायी जाती है।

यहां लोग एक अलग ही व्यवस्था पर विश्वास रखते हैं। भले ही न्यायालय, या पुलिस मुख्यालय का कुछ ही निर्देश हो लेकिन यहां FIR लिखवाने के लिए क्षेत्रीय वर्चस्व का सहारा लेना ही पड़ता है।

कई बार थाने के बाहर कुछ दलाल मिलते हैं जो 10 हजार या 30 हजार में FIR लिखवाने की गारंटी देते हैं, हालांकि ऐसी व्यवस्था की जितनी निंदा की जाए उतनी ही कम है। ऐसी प्रथाओं से न केवल पुलिस की छवि ख़राब होती है बल्कि कानून पर से लोगों का आत्म-विश्वास भी कम होता है।

कुर्सी पर बैठे कई अधिकारी/कर्मचारी अपने व्यक्तिगत लाभ में ये भूल जाते हैं कि कितनी कठिनाइयों और बलिदानों के बाद हमें यह सुचारू कानून व्यवस्था प्राप्त हुई है। अपराध पर लगाम लगाने के प्रयास में कई पुलिसवालों ने अपने सीने पर गोलियां खाई हैं और खुशी-खुशी इस दुनिया को अलविदा कह कर चले गए केवल इस भरोसे में कि उनका बलिदान हजारों लोगों के जीवन में नयी रोशनी लेकर आयेगा।

अगर, भारतीय पुलिस का इतिहास देखें तो यहां हजारों लेगों ने पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन किया और दूसरों के हितों की रक्षा के लिए लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गए। किंतु आज कुछ लोग अनुचित लाभ लेकर उनकी शहादत को अपमानित करते हैं ऐसे लोगों को मैं अपना ही नहीं बल्कि इस राष्ट्र का भी सबसे बड़ा शत्रु मानता हूं।

NCERT आपसे अपील करती है कि कृपया किसी भी प्रकार के अनुचित साधनों पर विश्वास ना करें और आप जिस भी स्तर पर हैं, कानून के दायरे में रहकर अपने और दूसरों के प्रति होने वाले अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाएं। अपने बल और बुद्धी का प्रयोग सदैव दूसरों के हित के लिए करें। कभी भी किसी की पीड़ा में अपना आनंद न ढूंढें यह बहुत ही तुच्छ स्तर का कार्य है, हो सके तो अपने गुणों से इस समाज और राष्ट्र को सुगन्धित करने का प्रयास करें। – चंदन सिंह विराट

सही दिशा में प्रयास करते हुए आपको कई कठिनाइयों का सामना जरूर करना पड़ सकता है लेकिन हमारा विश्वास है कि आखिर में विजय आपकी ही होगी, इसलिए विपरीत परिस्थितियों में भी संयम बनाये रखें।

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