Vygotsky theory in Hindi (Vygotsky ka Siddhant) - विशेषताएं और महत्त्व

वायगोत्स्की का सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत: बाल विकास में महत्व

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लिव वायगोत्स्की एक प्रभावशाली रूसी मनोवैज्ञानिक थे, जिन्होंने बाल विकास से सम्बंधित एक सिद्धांत प्रस्तुत किया जो यह बताता है कि कैसे बच्चे, सामाजिक संपर्क और सांस्कृतिक संदर्भ के माध्यम से सीखते हैं और विकसित होते हैं। इस सिध्दांत को “वायगोत्स्की सिद्धांत” (Vygotsky theory) के नाम से जाना जाता है।

वायगोत्स्की बच्चे के सर्वांगीण विकास में सामाजिक और सांस्कृतिक सिद्धांतों को एक महत्वपूर्ण स्थान देता है, जिसके कारण वायगोत्स्की के इस सिद्धांत को सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत (socio-cultural theory) के रूप में भी जाना जाता है।

आइए, वायगोत्स्की के सिद्धांत को अधिक गहराई से समझते हैं और शिक्षण व सीखने की प्रक्रिया में इसकी भूमिका को जानते हैं।

वायगोत्स्की का सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत (Vygotsky theory)

वायगोत्स्की एक रचनात्मक सोच वाले व्यक्ति थे जिन्होंने सामाजिक और सांस्कृतिक सिद्धांतों के आधार पर छात्रों के संज्ञानात्मक विकास (Cognitive development) की व्याख्या की।

वायगोत्स्की के इस सिद्धांत के अनुसार, बच्चा समाज और संस्कृति में रहकर अनुकरण (imitation) के माध्यम से सीखता है। अर्थात बच्चे दूसरों को देखकर और उनकी नकल करके सीखते हैं। वे देखते हैं कि उनके आसपास के लोग क्या करते हैं और वे उन कार्यों को करने का प्रयास करते हैं।

वायगोत्स्की ने समाज को केंद्र में रखकर अपना सिद्धांत प्रतिपादित किया।

वायगोत्स्की के सिद्धांत के प्रमुख आधार

ये तीन तत्व वायगोत्स्की के संज्ञानात्मक विकास के मूल आधार हैं, अर्थात वह इन तीनों के आधार पर अपने सिद्धांत की संपूर्ण व्याख्या करते हैं:

1. सामाजिक अंतःक्रिया (Social Interaction)

वायगोत्स्की का मानना ​​था कि बच्चे सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से सीखते हैं। सामाजिक अंतःक्रिया का अर्थ है दूसरों के साथ बातचीत करना, जिसमें संवाद, सहयोग, और अनुकरण शामिल हैं।

वायगोत्स्की के अनुसार, बच्चे समाज से निर्देश (directions from the society) प्राप्त करने के बाद अपना संज्ञानात्मक विकास करते हैं और वे विकास की इस प्रक्रिया को अनुकरण (imitation) के आधार पर करते हैं।

2. भाषा (Language)

वायगोत्स्की भाषा को संज्ञानात्मक विकास का एक महत्वपूर्ण उपकरण मानते हैं। जिसकी मदद से बच्चा समाज और संस्कृति से इंटरैक्ट (interact) करता है। भाषा बच्चों को अपनी सोच को व्यक्त करने, दूसरों के साथ संवाद करने, और नई चीजें सीखने में मदद करती है।

वायगोत्स्की के अनुसार भाषा के अभाव में व्यक्ति अपने ज्ञान का विकास नहीं कर सकता।

3. संस्कृति (Culture)

वायगोत्स्की सिद्धांत में संस्कृति (Culture) का अपना महत्वपूर्ण योगदान है। संस्कृति बच्चे में नैतिक मूल्यों का विकास करती है। बच्चों को सोचने, महसूस करने और शालीनता से व्यवहार (behave decently) करने के लिए प्रेरित करती है और बच्चा भी यह सब नकल (imitation) के माध्यम से सीखता है।

अन्य तत्व

वायगोत्स्की ने अपने सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत में 3 अन्य तत्वों को भी महत्वपूर्ण स्थान दिया है। जिन्हें इस सिद्धांत का आधार माना जाता है। इन तीन तत्वों को ZPD, MKO और Scaffolding के रूप में जाना जाता है।

1. समीपस्थ विकास का क्षेत्र (ZPD) | Zone of Proximal Development

समीपस्थ विकास का क्षेत्र (ZPD), जिसे Zone of Proximal Development भी कहा जाता है, वायगोत्स्की के सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह विकास की उस सीमा को दर्शाता है जिसमें बच्चा स्वतंत्र रूप से कार्य करने में असमर्थ होता है, लेकिन मार्गदर्शन और सहायता के साथ वह कार्य कर सकता है।

वायगोत्स्की के संभावित विकास क्षेत्र (ZPD) के अनुसार, एक व्यक्ति को इस स्तर पर सीखने के लिए दूसरे व्यक्ति की सहायता की आवश्यकता होती है, अर्थात इसमें अन्य जानकार व्यक्ति की अनुपस्थिति में इसका विकास संभव नहीं है। विकास के इस क्षेत्र में व्यक्ति को उचित दिशा की आवश्यकता होती है और इसकी सहायता से व्यक्ति अपने आगे के लक्ष्य (future goals) को प्राप्त कर पाता है।

इस अवधारणा के अनुसार इस स्तर पर व्यक्ति को अपनी समस्याओं का समाधान अपने मित्र या अपने किसी रिश्तेदार के माध्यम से मिलता है। छात्र इस अवस्था में व्यक्तिगत अधिगम (individual learning) करना सीखते हैं और वे नए विचारों को अपनाने के लिए बहुत उत्सुक रहते हैं।

उदाहरण के लिए – बच्चे बिना स्कूल जाए घर में रहकर काफी ज्ञान प्राप्त करते हैं, लेकिन जिन बिन्दुओं पर वे समस्याओं का सामना करते हैं, उनसे उत्पन्न होने वाली समस्याओं को हल करने के लिए वे शिक्षकों और अपने दोस्तों की मदद से सीखते हैं और इसे वायगोत्स्की ZPD कहा जाता है।

ZPD निश्चित नहीं है, यह समय के साथ बदलता रहता है। जैसे-जैसे बच्चा सीखता है और विकसित होता है, ZPD भी बदलता है। यह प्रत्येक बच्चे के लिए अलग-अलग होता है। जो बच्चे की क्षमता, अनुभव और सीखने की शैली पर निर्भर करता है।

2. अधिक ज्ञानवान अन्य (MKO) | More Knowledgeable Other

वायगोत्स्की का एमकेओ (More Knowledgeable Other) उस व्यक्ति को संदर्भित करता है जिसके पास सीखने वाले की तुलना में अधिक ज्ञान, अनुभव और कौशल है। यह एक शिक्षक, माता-पिता, या कोई बड़ा साथी हो सकता है जो बच्चे को सीखने में मार्गदर्शन करता है।

उदाहरण के लिए, एक बच्चा जो अज्ञानी है, एक शिक्षक जो ज्ञान का भंडार है। ऐसी स्थिति में शिक्षार्थी अपना सर्वोत्तम संज्ञानात्मक विकास करने में सक्षम होता है। यदि विद्यार्थी के पास शिक्षक से अधिक बुद्धि है या समान बुद्धि है, तो ऐसी स्थिति में बच्चे का संज्ञानात्मक विकास (Cognitive development) ठीक से नहीं होगा।

सरल शब्दों में, बच्चे के संज्ञानात्मक विकास के लिए, जो सीखाने वाला है, उसके पास सीखने वाले व्यक्ति की तुलना में अधिक ज्ञान होना चाहिए। वायगोत्स्की के इस एलिमेंट को मोर नॉलेजेबल अदर (MKO) कहा जाता है।

3. मचान | Scaffolding

मचान एक शिक्षण रणनीति है जो छात्रों को समीपस्थ विकास क्षेत्र (ZPD) में सीखने में मदद करती है। यह अस्थायी सहायता प्रदान करता है जो छात्रों को स्वतंत्र रूप से कार्य करने में सक्षम होने तक उन्हें सीखने में मदद करता है।

वायगोत्स्की के अनुसार, बच्चे को सीखने के लिए एक ढांचे (learning framework) की आवश्यकता होती है, यानी एक सीढ़ी जो उसे सीखने के उस शिखर तक ले जा सके। शिखर पर पहुंचकर वह अपनी विद्या के अंतर्गत आने वाली सभी समस्याओं का समाधान कर सकता है।

छात्र के अनुभव, कौशल और ज्ञान के बेहतर विकास के लिए यह मचान आवश्यक है। इसके तहत छात्र क्रमिक रूप से अपना संज्ञानात्मक विकास करता है।

विशेषताएँ | Characteristics

वायगोत्स्की के सिद्धांत (Vygotsky theory) की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं –

  1. वायगोत्स्की का सिद्धांत बच्चे के संज्ञानात्मक विकास के लिए समाज और संस्कृति को महत्वपूर्ण स्थान देता है।
  2. इसके अनुसार विकास के लिए पहले सीखना आवश्यक है।
  3. इस सिद्धांत के अनुसार छात्र में संज्ञानात्मक विकास के गुण पहले से ही मौजूद होते हैं, लेकिन इन गुणों को सामने लाने का काम समाज और संस्कृति द्वारा किया जाता है।
  4. वायगोत्स्की बच्चे के संज्ञानात्मक विकास के लिए सामाजिक संपर्क, भाषा और संस्कृति को बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं।
  5. वायगोत्स्की ने ZPD, MKO और Scaffolding की अवधारणाओं को छात्र के सीखने के लिए आवश्यक माना है।

पियागेट और वायगोत्स्की सिद्धांत के बीच अंतर

  • वायगोत्स्की का सिद्धांत बच्चे के संज्ञानात्मक विकास के लिए समाज और संस्कृति को महत्व देता है, जबकि पियाजे संज्ञानात्मक विकास के लिए उम्र को महत्व देता है।
  • वायगोत्स्की सामाजिक संरचनात्मक विचारों (social structural views) वाले व्यक्ति थे और पियाजे संज्ञानात्मक संरचनात्मक विचारों (cognitive structural views) वाले व्यक्ति थे।
  • वायगोत्स्की मार्गदर्शन (guidance) को सीखने के लिए आवश्यक मानते हैं और पियाजे सीखने (learning) को आत्म-सक्रियण (self-activation) का एक हिस्सा मानते हैं।
  • वायगोत्स्की के अनुसार, पहले विचार बच्चे में पैदा होते हैं, बाद में भाषा पर पियाजे बिल्कुल विपरीत मानते हैं।

शिक्षा में वायगोत्स्की सिद्धांत की भूमिका

शिक्षा के क्षेत्र में वायगोत्स्की के सिद्धांत का महत्वपूर्ण योगदान है। इस सिद्धांत का उपयोग वर्तमान शिक्षा प्रणाली में छात्रों को सिखाने के लिए किया जाता है।

यह सिद्धांत शिक्षक को एक मार्गदर्शक के रूप में देखता है और शिक्षक को विश्वास दिलाता है कि उसके माध्यम से छात्रों का संज्ञानात्मक विकास बेहतर तरीके से किया जा सकता है।

यह किसी भी जटिल विषय को सरल बनाने और शिक्षण प्रक्रिया (teaching process) को प्रभावी बनाने के लिए बहुत फायदेमंद है।

वायगोत्स्की का यह सिद्धांत बच्चे को समाज और संस्कृति से जोड़ने का काम करता है जो विद्यार्थी के नैतिक मूल्यों के विकास में सहायक होते हैं।

निष्कर्ष | Conclusion

वायगोत्स्की का सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत छात्रों के विकास में समाज और संस्कृति की भूमिका को दिखाने का काम करता है। यह छात्रों के संज्ञानात्मक विकास के लिए समाज द्वारा प्राप्त मार्गदर्शन और दिशा-निर्देशों को एक महत्वपूर्ण स्थान देता है।

वायगोत्स्की का यह सिद्धांत शिक्षकों और अभिभावकों को यह समझने में मदद करता है कि बच्चे कैसे सीखते हैं और विकसित होते हैं। यह एक गतिशील शिक्षण प्रक्रिया को प्रोत्साहित करता है जहाँ बच्चे सक्रिय प्रतिभागी होते हैं और सामाजिक परिप्रेक्ष्य में अपनी समझ का निर्माण करते हैं।

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