जुलाई 2004 में, तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री ने लोकसभा में यह बात रखी कि भारत में शिक्षा “बिना बोझ” (learning without burden) की होनी चाहिए। इस विचार ने “राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT)” को “राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा” में संशोधन करने के लिए प्रेरित किया।
परिणामस्वरूप, प्रोफेसर यशपाल की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय संचालन समिति और लगभग 21 अन्य राष्ट्रीय फोकस समूहों का गठन किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य “राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा – 2000” की समीक्षा कर उसमें आवश्यक संशोधन करना था ताकि भारत में शिक्षा के अनुप्रयोगों को अधिक सफल बनाया जा सके।
इस समिति में उच्च शिक्षा संस्थानों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों, NCERT के सदस्यों और सरकारी तथा गैर-सरकारी स्कूलों के प्रतिनिधियों ने मिलकर गहन चर्चा की, जिसके फलस्वरूप NCF-2000 (पहले से मौजूद) में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए और अंततः NCF 2005 का निर्माण हुआ।
NCF 2005 ने भारतीय शिक्षा प्रणाली को एक नई सोच और दिशा प्रदान की, जो छात्रों के समग्र विकास और व्यावहारिक ज्ञान पर आधारित थी।
राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा 2005
राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा 2005 को ही संक्षिप्त में “NCF 2005” कहा जाता है। इसके अलावा इसे “चतुर्थ राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा” के रूप में जाना जाता है, क्योंकि इसके पहले तीन संस्करण क्रमशः NCF 1975, NCF 1988, और NCF 2000 प्रकाशित हो चुके हैं।
यह भारत में शिक्षा प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। यह शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण बदलावों का आधार बना है और आज भी शिक्षा नीति को प्रभावित करता है।
कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ –
पूरा नाम | राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा 2005 (National Curriculum Framework 2005) |
अन्य नाम | चतुर्थ राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा |
अध्यक्ष | प्रो. यश पाल |
प्रकाशक | राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद |
श्रृंखला | 4th राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा |
सम्बंधित मंत्रालय | शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार |
कुल पृष्ठ | 180 |
नोट: लेख के अंत में आपको एनसीएफ 2005 की हिंदी पीडीएफ फाइल उपलब्ध करवाई जाएगी। कृपया ध्यान दें कि यह पीडीएफ फाइल आधिकारिक भाषा में है, इसलिए आपको इसे समझने में थोड़ी कठिनाई हो सकती है। मेरा सुझाव है कि आप इस लेख को ध्यान पूर्वक पढ़ें इसके बाद ही PDF डाऊनलोड करें।
राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा 2005 के उद्देश्य (Aims and objectives)
यह रूपरेखा सामाजिक न्याय और समानता के उच्च संवैधानिक मूल्यों पर आधारित है। यह समतामूलक और बहुलतावादी समाज के आदर्शों से प्रेरणा लेती है और शिक्षा को एक ऐसे साधन के रूप में देखती है जो सभी बच्चों को अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने और समाज में सक्रिय और जिम्मेदार नागरिक बनने में मदद कर सकता है।
NCF 2005 कई व्यापक उद्देश्यों को चिन्हित करता है, जिसमें –
- विचार और कार्य की स्वतंत्रता (बच्चों में स्वतंत्र रूप से सोचने और कार्य करने की क्षमता को बढ़ावा देना)
- बच्चों में सहानुभूति, करुणा और दूसरों की भावनाओं के प्रति संवेदनशीलता (Ethical sensibility) विकसित करना
- परिस्थितियों का शालीनता और रचनात्मक तरीके से सामना करने के लिए प्रोत्साहित करना
- सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन लाने के लिए बच्चों को जागरूक और सक्षम बनाना और
- लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदारी की प्रवृत्ति बढ़ाना और आर्थिक तथा सामाजिक प्रक्रियाओं में बदलाव लाने हेतु कार्य करने की क्षमता को विकसित करना इत्यादि शामिल है।
सिद्धांत (Principles)
NCF 2005 निम्न लिखित सिद्धांतों को केंद्र में रखकर कार्य करता है –
- ज्ञान को स्कूल के बाहर से जोड़ना
- पढ़ाई में रटने की प्रवृत्ति से मुक्त करना
- पाठ्यचर्या का इस प्रकार से संवर्धन (Promotion) करना कि वह केवल पाठ्यपुस्तक केंद्रित न रह जाए बल्कि वह बच्चों को चहुँमुखी विकास (all-round and multidiamentional development) के अवसर भी उपलब्ध कराए।
- परीक्षाओं को अपेक्षाकृत लचीला (Flexible) बनाना और कक्षा (Class) की गतिविधियों (actvities) से जोड़ना
- ऐसे विचारों का विकास जिसमें प्रजातांत्रिक राज-व्यवस्था के अंतर्गत राष्ट्रीय चिंताएं समाहित हों।
सुझाव / सिफारिशें (Recommendations)
बच्चों को पढ़ाई के अधिक दबाब से मुक्त कर स्कूल शिक्षा को आनंदपूर्ण बनाने हेतु राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा, 2005 निम्नलिखित शिफारिशें करता है –
- विषयों की सीमाओं को हटाया जाए ताकि बच्चों को समग्र ज्ञान का आनंद मिले और चीजों को समझने में खुशी और आनंद का अनुभव हो।
- त्रिभाषा फार्मूले (Tri-language formula) को लागू किया जाए जिसमें आदिवासी भाषाओं (Tribal languages) सहित बच्चों की मातृभाषाओं (Mother language) को शिक्षा के माध्यम के रूप में स्वीकृत देने पर जोर हो।
- बच्चों में बहुभाषिक प्रवीणता (Multi-laungauge skill) विकसित हो सके इसके लिए पाठ्यक्रम में अंग्रेजी भाषा (English language) को भी शामिल किया जाए।
- प्राथमिक कक्षाओं (Primary and Elementory stages) के पूरे दौर में पढ़ने पर जोर दिया जाए जिससे हर बच्चे को स्कूली शिक्षा का ठोस आधार मिल सके।
- गणित की शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जिससे बच्चों की चिंतन, तर्क शक्ति, अमूर्तनों की संकल्पना, समस्याओं को सूत्रबद्ध कर उन्हें सुलझाने आदि की योग्यता समृद्ध हो।
उपरोक्त के अतिरिक्त, यह –
- पाठ्यपुस्तक में ऐसी सामग्रियों की बहुलता को प्रेरित करता है जिसमे स्थानीय ज्ञान और पारंपरिक कौशल शामिल हो।
- ऐसा स्कूली माहौल विकसित करने का सुझाव देता है जिसमें बच्चों के घर और सामुदायिक परिवेश के मध्य जीवंत संबंध बनाए जा सके।
- बच्चों की प्रगति का निरंतर और व्यापक मूल्यांकन (Continuous and Comprehensive Evaluation) किया जाये।
- प्रत्येक स्तर पर विषय के रूप में विभिन्न कलाओं जैसे – गायन, नृत्य, यात्रा, प्रदर्शनी, प्रोजेक्ट और नाटक इत्यादि को जगह दिए जाने की सिफारिश करता है।
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विशेषताएं (Characteristics)
शिक्षा आज और भविष्य की जरूरतों के लिए ज्यादा प्रसांगिक बन सके इसके लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा, 2005 स्कूल कॅरिकुलम के चार क्षेत्रों – भाषा, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान में महत्वपूर्ण परिवर्तनों को प्रेरित करता है जिसे निम्न प्रकार से समझा जा सकता हैं –
- यह राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा -1988 में संशोधन करने के लिए ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और तर्क प्रदान करता है।
- यह शिक्षा के मूल लक्ष्य को व्यापक दिशानिर्देश प्रदान करता है और बताता है कि शिक्षा समाज की मौजूदा महत्वाकांक्षाओं व जरूरतों के साथ मानवीय आदर्शों पर भी प्रतिविम्बित होनी चाहिए
- रटंत शिक्षा पर आधारित परीक्षाओं के तरीकों पर सवाल उठाता है और बच्चों के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करता है।।
- भारतीय शिक्षा को तनाव और दुश्चिंता से पृथक कर प्रगतिशील मूल्यांकन और आकलन जैसे उच्च मानकों की प्रतिभूति करता है।
- यह शिक्षा के क्षेत्र में व्यवस्थागत सुधार के लिए उपयोगी मार्गदर्शन देता है।
- किताबों की संख्या को घटाकर शिक्षा में क्षेत्र में तकनीकी के उपयोग को बढ़ावा देता है।
- शिक्षण संस्थानों में सभी बच्चों की सक्रिय भागीदारी और विद्यालय एवं कक्षा में स्वच्छ वातावरण को अभिलक्षित करता है।
- यह काम-केंद्रित शिक्षा (व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण) के लिए रचनात्मक सुझाव उपलब्ध कराता है।
- शिक्षा के क्षेत्र में गैर-सरकारी संगठन, नागरिक समाज समूह और शिक्षक संगठनों की भूमिका के महत्व को उजागर करता है।
एनसीएफ अधिकारिक परिपत्र डाऊनलोड
राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा, 2005 की मूल प्रति यहाँ मुफ्त में उपलब्ध करायी जा रही है, डाऊनलोड करने के लिए कृपया नीचे दी गई बटन का प्रयोग करें।