Curriculum meaning in Hindi: पाठ्यक्रम (पाठ्यचर्या) का हिंदी मतलब और परिभाषा

पाठ्यचर्या का मतलब, उद्देश्य, परिभाषा, प्रकिया, प्रकार और विशेषताएं इत्यादि।

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विद्यालय में आयोजित होने वाले सभी कार्यक्रमों को हम पाठ्यचर्या (Curriculum) के रूप में देखते हैं। पहले पाठ्यचर्या का अर्थ केवल विषयों के आधार पर देखा और समझा जाता था, लेकिन अब इसका दायरा इससे कहीं अधिक व्यापक हो गया है, अब पाठ्यचर्या को स्कूल के पूरे कामकाज के रूप में देखा और समझा जाता है।

यह कहना गलत नहीं होगा कि – शिक्षण-अधिगम कार्य (teaching-learning work) हो या पाठ्य सह-पाठ्यक्रम गतिविधियाँ (Co-curriculum activities), शिक्षक अपना शिक्षण कार्य पाठ्यचर्या के आधार पर पूरा करता है। स्कूल में कब क्या काम करना है, यह सिलेबस यानी पाठ्यक्रम के हिसाब से ही तय होता है।

इस लेख में हम आपको पाठ्यचर्या से सम्बंधित विस्तार से जानकारी देंगे जैसे कि यह क्या है, इसका मतलब, उद्देश्य, परिभाषा, प्रकिया, प्रकार और विशेषताएं इत्यादि।

पाठ्यचर्या क्या है (What is Curriculum)

पाठ्यचर्या वह योजना है जो यह निर्देशित करती है कि छात्रों को क्या सिखाया जाएगा और स्कूल में उन्हें कैसे सिखाया जाएगा। इसमें इसमें सीखने के लक्ष्य और सामग्री के अतिरिक्त निम्नलिखित पहलू शामिल होते हैं:

  • विषय: विज्ञान, गणित, भाषा, इतिहास, भूगोल आदि जैसे विभिन्न विषयों का समावेश।
  • गतिविधियाँ: खेल, कला, संगीत, नृत्य आदि जैसे विभिन्न गतिविधियों का समावेश।
  • शिक्षण विधियाँ: व्याख्यान, प्रयोग, समूह कार्य, परियोजनाएं आदि जैसे विभिन्न शिक्षण विधियों का समावेश।
  • मूल्यांकन: छात्रों की प्रगति का मूल्यांकन करने के लिए परीक्षाएं, असाइनमेंट, प्रोजेक्ट आदि का समावेश।

पाठ्यचर्या को राष्ट्रीय, राज्य द्वारा विकसित किया जा सकता है स्थानीय या यहां तक ​​कि व्यक्तिगत शिक्षक स्तर पर भी।

हिन्दी अर्थ (Curriculum meaning in Hindi)

पाठ्यचर्या का हिन्दी अर्थ है “सीखने का क्रम” या “शिक्षण योजना“। यह विद्यालयों में छात्रों को पढ़ाए जाने वाले विषयों और गतिविधियों का संगठित और क्रमबद्ध रूप होता है।

पाठ्यचर्या के कुछ महत्वपूर्ण हिन्दी अर्थ:

  • पाठ्यक्रम: किसी विशेष विषय के लिए निर्धारित अध्ययन सामग्री और गतिविधियाँ।
  • अभ्यासक्रम: किसी विशेष कौशल को विकसित करने के लिए निर्धारित प्रशिक्षण कार्यक्रम।
  • पाठ्यपुस्तकें: पाठ्यक्रम में शामिल विषयों को पढ़ाने के लिए उपयोग की जाने वाली पुस्तकें।
  • शिक्षण सामग्री: पाठ्यक्रम को पढ़ाने के लिए उपयोग किए जाने वाले सभी प्रकार के संसाधन, जैसे कि पाठ्यपुस्तकें, ऑडियो-वीडियो सामग्री, प्रयोगशाला उपकरण आदि।

परिभाषा (Definition)

  • कनिंघम के अनुसार – “यह कलाकार (शिक्षक) के हाथों में अपने स्टूडियो (स्कूल) में अपने आदर्श और उद्देश्यों के अनुसार अपनी सामग्री (शिक्षार्थी) को ढालने/एक बेहतर रूप देने का एक साधन है।”
  • हॉर्न सर के अनुसार – ” यह वो है जो बच्चों को सिखाया जाता है, इसका दायरा पढ़ने या सीखने से कहीं अधिक है। इसमें उद्योग, व्यवसाय, शिक्षा, अभ्यास और गतिविधियाँ शामिल हैं।
  • माध्यमिक शिक्षा आयोग के अनुसार – “इसका अर्थ रूढ़िवादी तरीके से पढ़ाए जाने वाले बौद्धिक विषयों से नहीं है, बल्कि इसमें वे सभी गतिविधियाँ शामिल हैं जो बच्चों को कक्षा के बाहर या अंदर मिलती हैं।”
  • श्री पॉल हीस्ट के अनुसार – “उन सभी गतिविधियों का रूप जिसके द्वारा शैक्षिक लक्ष्यों और उद्देश्यों को प्राप्त किया जाता है, वे पाठ्यक्रम हैं।”

पाठ्यचर्या के प्रकार (Types of Curriculum)

पाठ्यचर्या के कुछ सबसे आम प्रकारों में शामिल हैं:

  1. अनुशासनात्मक पाठ्यचर्या: यह विशिष्ट विषयों, जैसे अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, इतिहास, भूगोल आदि पर केंद्रित होती है। इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों को विषय-विशेष ज्ञान और कौशल प्रदान करना है। यह पारंपरिक शिक्षा का आधार है और शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  2. व्यावसायिक पाठ्यचर्या: यह छात्रों को विशिष्ट व्यवसायों या करियर के लिए तैयार करती है। इसमें विभिन्न प्रकार के व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल हैं, जैसे कि इंजीनियरिंग, चिकित्सा, कानून, व्यवसाय, आदि। इसका उद्देश्य छात्रों को आवश्यक व्यावसायिक ज्ञान और कौशल प्रदान करना है ताकि वे अपने करियर में सफल हो सकें।
  3. व्यावहारिक पाठ्यचर्या: यह छात्रों को जीवन में सफल होने के लिए आवश्यक सामान्य ज्ञान और कौशल प्रदान करती है। इसमें महत्वपूर्ण सोच, समस्या समाधान, संचार, सहयोग, नेतृत्व, आदि जैसे कौशल शामिल हैं। इसका उद्देश्य छात्रों को 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करना है।
  4. छात्र-केंद्रित पाठ्यचर्या: यह छात्रों की रुचियों और जरूरतों पर केंद्रित होती है। इसमें छात्रों को अपनी सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। शिक्षक छात्रों को मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करते हैं, लेकिन छात्रों को अपनी सीखने की गति और दिशा निर्धारित करने की स्वतंत्रता होती है।
  5. प्रोजेक्ट-आधारित पाठ्यचर्या: यह वास्तविक दुनिया की परियोजनाओं पर केंद्रित होती है। छात्रों को समूहों में काम करके विभिन्न प्रकार की परियोजनाओं को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। यह छात्रों को महत्वपूर्ण सोच, समस्या समाधान, टीम वर्क, और संचार जैसे कौशल विकसित करने में मदद करती है।
  6. समग्र पाठ्यचर्या: यह छात्रों के समग्र विकास पर केंद्रित होती है। इसमें शैक्षिक, सामाजिक, भावनात्मक, और शारीरिक विकास सभी शामिल हैं। इसका उद्देश्य छात्रों को पूर्ण और संतुलित व्यक्ति बनने में मदद करना है।

पाठ्यचर्या का प्रकार जो एक विशेष विद्यालय या शिक्षक उपयोग करता है, कई कारकों पर निर्भर करती है, जिसमें छात्रों की आयु, उनकी ज़रूरतें और स्कूल के लक्ष्य शामिल हैं। सबसे अच्छी पाठ्यचर्या वह है जो छात्रों की आवश्यकताओं को पूरा करती है।

पाठ्यचर्या क्यों महत्वपूर्ण है (Why is Curriculum Important)

पाठ्यचर्या कई कारणों से महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करने में मदद करती है कि सभी छात्रों को उच्च-गुणवत्ता वाली शिक्षा तक पहुंच हो, यह शिक्षकों को यह जानने में मदद करती है कि उन्हें क्या सिखाना है और छात्रों को यह जानने में मदद करती है कि उनसे क्या अपेक्षा की जाती है। पाठ्यचर्या छात्रों को 21वीं सदी में सफल होने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल विकसित करने में भी मदद कर सकती है।

पाठ्यचर्या लगातार विकसित हो रही है क्योंकि नई जानकारी और शिक्षण विधियां विकसित की जाती हैं। पाठ्यचर्या को विकसित करते समय शिक्षकों, प्रशासकों, अभिभावकों और छात्रों सहित कई हितधारकों के इनपुट पर विचार करना महत्वपूर्ण है। पाठ्यचर्या को राज्य के मानकों और आकलन के साथ संरेखित करना भी महत्वपूर्ण है। ।

एक अच्छी तरह से डिज़ाइन किया गया पाठ्यक्रम छात्रों को सफल होने के लिए आवश्यक उपकरण प्रदान कर सकता है।

विशेषताएं (Characteristics)

पाठ्यक्रम परिवर्तनशील हैं। समाज की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम में लगातार बदलाव किए जा रहे हैं। इसकी मुख्य विशेषताएं निम्न हैं:

  • यह शिक्षा के उद्देश्यों के आधार पर बनाया गया है।
  • पाठ्यचर्या से ही विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का विकास होता है।
  • इसे स्कूल और शिक्षकों द्वारा लागू किया जाता है।
  • पाठ्यचर्या द्वारा विद्यार्थियों के व्यवहार में वांछित परिवर्तन लाया जाता है।
  • पाठ्यचर्या के माध्यम से विद्यार्थियों में समस्या समाधान की प्रवृत्ति बढ़ती है।
  • पाठ्यक्रम के माध्यम से छात्रों में संज्ञानात्मक, भावनात्मक और कार्यात्मक कौशल विकसित किए जाते हैं।

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पाठ्यचर्या विकास के लिए प्रक्रिया (Process for Curriculum Development)

पाठ्यचर्या विकास शिक्षा का एक महत्वपूर्ण पहलू है जिसमें एक प्रभावी शिक्षण कार्यक्रम को डिजाइन करना, योजना बनाना और लागू करना शामिल है। इसमें छात्रों को सफल होने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल प्रदान करने के लिए सामग्री, निर्देशात्मक तकनीकियों, मूल्यांकनविधियों और अन्य पहलुओं का चयन करना शामिल होता है।

पाठ्यचर्या विकास की प्रक्रिया आमतौर पर निम्नलिखित चरणों में विभाजित होती है:

1. आवश्यकताओं का विश्लेषण

छात्रों की जरूरतों, रुचियों और क्षमताओं को समझने के लिए सर्वेक्षण, साक्षात्कार, फोकस समूह और परीक्षण जैसे तरीकों का उपयोग किया जाता है। और फिर इस डेटा का उपयोग पाठ्यक्रम के लक्ष्यों और उद्देश्यों को निर्धारित करने के लिए किया जाता है।

2. पाठ्यक्रम का डिजाइन

इस चरण में, पाठ्यक्रम के लक्ष्यों और उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सामग्री और निर्देशात्मक तकनीकियों का चयन किया जाता है। इसमें पाठ्यक्रम की संरचना और अनुक्रम को निर्धारित करना भी शामिल है।

पाठ्यक्रम को विभिन्न शिक्षण शैलियों और क्षमताओं के छात्रों को समायोजित करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है।

3. पाठ्यक्रम का विकास

इस चरण में, पाठ्यक्रम सामग्री को तैयार किया जाता है और निर्देशात्मक योजना विकसित की जाती है। इसमें पाठ्यपुस्त उपकरणों और अन्य शिक्षण सामग्री का निर्माण शामिल हो सकता है।

पाठ्यक्रम को प्रभावी और आकर्षक बनाने के लिए विभिन्न शिक्षण सामग्री और तकनीकियों का उपयोग किया जाता है।

4. पाठ्यक्रम का कार्यान्वयन

पाठ्यक्रम को शिक्षकों द्वारा कक्षा में लागू किया जाता है और कार्यान्वयन के दौरान छात्रों की प्रगति की निगरानी की जाती है।

5. मूल्यांकन

इस चरण में पाठ्यक्रम का मूल्यांक किया जाता है। और छात्र के परिणामों का उपयोग कर पाठ्यक्रम को और बेहतर बनाने का कार्य किया जाता है।

ध्यान देने योग्य बातें:

पाठ्यचर्या विकास एक निरंतर प्रक्रिया है जिसे समय-समय पर समीक्षा और अपडेट किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह छात्रों की जरूरतों को पूरा करता है और उन्हें सफल होने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल प्रदान करता है।

पाठ्यचर्या विकास के लिए कई संसाधन उपलब्ध हैं, जैसे कि:

पाठ्यचर्या विकास में शिक्षकों, छात्रों, अभिभावकों और अन्य हितधारकों की भागीदारी महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि पाठ्यक्रम प्रासंगिक, प्रभावी और सभी के लिए सुलभ हो।

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पाठ्यचर्या के उद्देश्य (Aims of Curriculum)

पाठ्यचर्या का मुख्य उद्देश्य छात्रों में ज्ञान, कौशल और मूल्यों का विकास करना है जो उन्हें वर्तमान में सफल होने के लिए आवश्यक हैं। पाठ्यचर्या को छात्रों की रुचियों और आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जाना चाहिए, और यह समय के साथ विकसित और परिवर्तित होता रहना चाहिए।

  • ज्ञान और कौशल का विकास: पाठ्यचर्या का मुख्य उद्देश्य छात्रों को विभिन्न विषयों और गतिविधियों के बारे में ज्ञान और कौशल प्रदान करना है।
  • मूल्यों का विकास: पाठ्यचर्या छात्रों में नैतिक और चरित्रिक मूल्यों का विकास करने में मदद करती है, जैसे कि ईमानदारी, सहयोग, और नागरिकता।
  • व्यक्तित्व विकास: पाठ्यचर्या का लक्ष्य छात्रों के समग्र व्यक्तित्व (संज्ञानात्मक, भावनात्मक और कार्यात्मक पक्षों का) विकास करना है और उन्हें जीविकोपार्जन करने के लिए भी सक्षम बनाना है।
  • समाज के लिए योगदान: छात्रों को समाज के लिए उपयोगी और योगदान करने वाला नागरिक बनाना इत्यादि पाठ्यचर्या के मूल उद्देश्य हैं।

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