घुटने का दर्द कारण और घरेलू उपचार

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आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में घुटने का दर्द एक आम समस्या है जो लगभग सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करती है। घुटने में दर्द (Knee pain) कई कारणों से हो सकता है जैसे – चोंट लगने के कारण, लिगमेंट क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण, कार्टिलेज फट जाने के कारण या कुछ मेडिकल कंडीशन जैसे आर्थराइटिस या संक्रमण के कारण इत्यादि।

घुटने का दर्द लोगों के लिए बड़ी परेशानी पैदा कर देता है क्योंकि इसमें रोगी यदि थोडा भी चल-फिर दे तो उसे तेज दर्द महसूस होने लगता है हालाँकि कई प्रकार के मामूली घुटने के दर्द में यदि व्यक्ति अपनी खुद देखभाल करे तो उसे आराम मिल जाता है। फिजिकल थेरेपी भी घुटने के दर्द को भागने में काफी मददगार होती है किन्तु कई बार समस्या इतनी विकट हो जाती है कि आपके घुटने की सर्जिकल मरम्मत ही मात्र एक विकल्प रह जाता है।

इस लेख में हम आपको घुटने के दर्द से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण बातें जैसे – रोग के लक्षण, कारण, उपाय और उपचार बताएँगे।

घुटने में दर्द के लक्षण (Symptoms of knee pain)

यदि आपके घुटने में कभी-कभी मामूली दर्द होता है तो इसमें आपको घबराने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है, आप कोई भी घरेलू बाम लगाकर इसे दूर भगा सकतें हैं। अगर यह दर्द आपको रोज महसूस हो रहा है और इसकी तीव्रता आपके रोजमर्रा गतिविधियों को बाधित करने के लिए पर्याप्त है तो यह जरूर चिंता का विषय है। आपको बता दें कि – घुटने में दर्द की जगह और इसकी तीव्रता कई कारणों पर निर्भर करती है। असमान्य कारणों से घुटने में होने वाले दर्द के निम्न लक्षण हो सकते हैं – 

  • सूजन और जकड़न
  • छूने पर जलन का अनुभव
  • चलने में कमजोरी या घुटने में अस्थिरता का महसूस होना
  • पैर आगे-पीछे करने पर घुटने में क्रंचिंग जैसी आवाज 
  • घुटने को पूरी तरह से सीधा करने में असमर्थता इत्यादि।

डाक्टर को कब दिखाएँ (When to see doctor)

आप अपने चिकित्सक को तुरंत दिखाएँ यदि –

  • आप अपने घुटनों के बल पर खड़े नही हो पा रहें हैं
  • घुटनों में सूजन है
  • पैर सीधा करने या मोड़ने में दिक्कत हो रही हो
  • सूजन, दर्द और घुटने में लालिमा के साथ बुखार है या
  • चोंट लगने के बाद अचानक से तेज दर्द है

घुटने में दर्द के कारण (Knee pain reason)

घुटने का दर्द कई कारणों से हो सकता है जैसे –

  1. चोंट लग जाने के कारण
  2. गठिया (अर्थराइटिस) हो जाने के कारण
  3. मैकेनिकल (यांत्रिक) समस्या या नस्पट हो जाने के कारण
  4. किसी विटामिन या कमजोरी के कारण
  5. किसी अन्य समस्या के कारण।

यह उल्लेख करना उचित होगा कि घुटने का दर्द कई बार किसी विटामिन की कमी या कमजोरी से भी हो जाता है इसलिए हमारे द्वारा आपको यह सलाह दी जाती है कि नियमित संतुलित भोजन करें और चिंता से दूर रहें।

1. चोंट लग जाने के कारण

घुटने की चोंट कई बार स्नायुबंध (Ligament), टेंडन (Tendons) या बर्से (आपके घुटनों में तरल पदार्थ जो हड्डियों के बीच घर्षण कम कर उन्हें घिसने से रोकता है) को बुरी तरह प्रभावित कर देती है जिस कारण घुटने में तेज दर्द होने लगता है।

लिगामेंट और टेंडन आपके घुटने की कटोरी से लगे हुए होतें हैं। जैस की नीचे चित्र में दिखाया गया है।

चोंट लग जाने के कारण घुटने का दर्द
लिगामेंट और टेंडन

ACL इंजरी

एसीएल इंजरी उन लोगों में आम है जो फ़ुटबाल, क्रिकेट, सोसर (Soccer) या अन्य खेल (स्पोर्ट्स) खेलतें है जिसमें अचानक से मुड़ना और तेज दौड़ना पड़ता है।

एसीएल (ACL) इन्जरी में आपके घुटनों के भीतरी भाग / anterior cruciate ligament (ACL) चोंट लगने से फट जाते हैं और इस कारण व्यक्ति को घुटने में तेज दर्द का अनुभव होने लगता है।

आपके घुटनों में चार लिगामेंट होतें हैं, ACL उनमें से एक है जो आपके पैर की हड्डी (Shinbone) को आपके जांघ की हड्डी (Thighbone) से जोड़ता है।

ACL इन्जरी के कारण घुटने में दर्द
ACL इन्जरी के कारण घुटने में दर्द (knee pain)

फ्रेक्चर के कारण

गिरने या दुर्घटना के दौरान भी कई बार घुटने की कटोरी (Knee Cap) की हड्डियाँ फ्रेक्चर/टूट जाती हैं जिस कारण घुटने का दर्द महसूस होता है।

जिन लोगों की हड्डियाँ ओस्टेपोरोसिस रोग (Osteoporosis disease) या किसी अन्य कारण से कमजोर हो जाती हैं, उनकी हड्डियाँ तो इधर-उधर पैर रख देने या मामूली झटके से भी फ्रेक्चर हो जाती हैं।

घुटना फ्रेक्चर हो जाने पर व्यक्ति को घुटने में तेज दर्द होने लगता है और वह परेशान हो जाता है।

फ्रेक्चर के कारण घुटने में दर्द | Knee pain in Hindi | Ghutne me dard
फ्रेक्चर के कारण घुटने में दर्द (knee pain)

मेनिस्कस फट जाने से

मेनिस्कस एक कठोर और रबरयुक्त कार्टिलेज है जो आपके घुटने की कटोरी से एकदम लगा हुआ होता है और आपकी जांघ और पैर की हड्डी के बीच झटके को अवशोषित करने का कार्य करता है।

आपने कभी ध्यान दिया होगा कि जब हम कूद्तें है तो जमीन का झटका सीधे हमारे जांघों पर नहीं लगता वो इसलिए क्योंकि मेनिस्कस उस झटके को अपनी क्षमता अनुरूप अवशोषित कर लेता है।

मेनिस्कस फट जाने के कारण घुटने का दर्द
मेनिस्कस फट जाने के कारण घुटने का दर्द

जब भी हम कोई वजनदार चीज उठाकर चलते या अचानक मुड़ते हैं तो यह मेनिस्कस फट जाता है। मेनिस्कस फटने से घुटनों में दर्द होने लगता है। कुछ मामलों में यह दर्द इतना ज्यादा होता है रोगी को तुरंत ही डॉक्टर के पास जाना पड़ता है।

घुटने का बर्साईट

हमारे घुटने में कई प्रकार की कुछ ऐसी चोंटें लग जाती हैं जिनके कारण बर्से में सूजन हो जाता है। बर्से एक प्रकार की छोटी थैली है जिसमें तरल पदार्थ भरा होता है। यह टेंडन और लिगामेंट के मध्य तकिये की तरह कार्य करता है ताकि वे दोनों जोड़ के ऊपर आसानी से मूवमेंट कर सकें।

घुटने का बर्साईट के कारण घुटनों में दर्द | Knee pain in Hindi | Ghutne me dard
घुटने का बर्साईट के कारण घुटनों में दर्द

पेटेलर टेडोनाइटिस

टेंडोनाइटिस में एक या इससे अधिक टेंडन (Tendons) में सूजन और जलन हो जाती है। टेंडन एक प्रकार के मोटे, रेशेदार उतक होतें हैं जो मांसपेशियों को हड्डियों से जोड़तें हैं। इस प्रकार के सूजन और घुटने का दर्द प्रायः पटेलर टेंडन में चोंट लग जाने के कारण होता है। पटेलर टेंडन आपको कूदने, दौड़ने या फ़ुटबाल को किक करने में मदद करता है।

पेटेलर टेडोनाइटिस | Knee pain in Hindi | Ghutne me dard
पेटेलर टेडोनाइटिस की वजह से घुटने में दर्द

पेटलर टेडोनाइटिस (Patellar tendinitis) – दौड़ने, सायकल चलने, कूदने, फ़ुटबाल/क्रिकेट खेलने या अधिक चलने से भी हो सकता है। पेटलर टेडोनाइटिस में भी घुटने का दर्द होता है और रोगी को चलने-फिरने में कष्ट का अनुभव होता है।

2. गठिया / अर्थराइटिस के कारण

गठिया रोग लगभग 100 से भी ज्यादा प्रकार के होतें हैं जो घुटने के दर्द का कारण बनते हैं। अधिकांश होने वाले गठिया के प्रकार निम्न्लिखित हैं –

ऑस्टियोअर्थराइटिस

ऑस्टियोअर्थराइटिस (Osteoarthritis) को अपक्षयी या डीजेनेरेटिव अर्थराइटिस भी कहा जाता है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ घुटने की हड्डियाँ घिस जाती हैं और कार्टिलेज भी क्षतिग्रस्त हो जातें हैं जिस कारण बुढ़ापे में घुटने का दर्द होने लगता है। इस प्रकार के गठिया को डीजेनेरेटिव अर्थराइटिस कहते हैं।

यह गठिया बढ़ती उम्र के साथ आम है जो बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करता है।

रुमेटाइटाइड गठिया

रुमेटाइटाइड अर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis), गठिया रोग का सबसे भयावर रूप है जो रोगी के इम्यून सिस्टम में कुछ गड़बड़ियों के कारण हो जाता है।

यह (रुमेटाइटाइड गठिया) एक ऐसा गठिया है जो न केवल आपके घुटने में दर्द पैदा करता है बल्कि यह लगभग शरीर के किसी भी जोड़ (Joint) में दर्द पैदा कर सकता है। रुमेटाइटाइड गठिया एक चिरकारी बीमारी है, इसकी गंभीरता अलग-अलग व्यक्तियों भिन्न-भिन्न होती है।

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कुछ लोंगों को तो रुमेटाइटाइड गठिया बहुत ही अधिक परेशान कर देता है वहीँ कुछ लोगों को यह सामान्य दर्द के साथ प्रभावित करता है। रुमेटाइटाइड गठिया की खास बात यह है कि कई बार यह बिना इलाज के ठीक हो जाता है। यह गठिया समय के साथ आता-जाता रहता है।

गाउट गठिया

गाउट गठिया, रोगी के जोड़ों (ज्वाइंट) में यूरिक एसिड के क्रिस्टल बनने से हो जाता है।

किडनी ख़राब हो जाने से या मूत्रमार्ग मार्ग में ज्यादा समय तक इन्फेक्सन रहने से शरीर में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ने लगता है और शरीर के ज्वाइंन्ट्स में जमने लगता है तब रोगी को घुटने में दर्द का अनुभव होता है।

गाउट गठिया (Gout arthritis) आमतौर पर पैर के बड़े वाले अंगूठे को प्रभावित करता है लेकिन कई लोंगों में यह घुटने का दर्द पैदा करता है।

स्यूडोगाउट

जोड़ो (जॉइंट्स) में एक प्रकार का द्रव पाया जाता है जिसे ज्वाइंट फ्लूड (Joint Fluid) कहतें है स्यूडोगाउट ज्वाइंट फ्लूड में कैल्शियम की मात्रा बढ़ने से हो जाता है जो मुख्य रूप से घुटनों को प्रभावित कर घुटनों का दर्द पैदा करता है।

गाउट और स्यूडोगाउट (Pseudogout) में अंतर करते वक्त कई बार चिकित्सक भी कन्फ्यूज हो जाते हैं ऐसे में यह ध्यान रखने की जरूरत है कि गाउट और स्यूडोगाउट दोनों अलग-अलग कारकों से पैदा होते हैं।

गाउट गठिया यूरिक एसिड और स्यूडोगाउट कैल्शियम के क्रिस्टल बढ़ने के कारण होता है।

सेप्टिक गठिया

सेप्टिक अर्थराइटिस (Septic arthritis) बहुत ही घातक गठिया रोग है जो बहुत ही जल्दी घुटने की हड्डियों (बोन्स) को व्यापक रूप से खराब कर देता है इसलिए यदि सेप्टिक गठिया के कोई भी प्रारंभिक लक्षण दिखे तो तुरंत ही चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।

यह (सेप्टिक गठिया) रोग जोड़ों में संक्रमण के कारण होता है। सेप्टिक गठिया में शुरुआत में कोई विशेष लक्षण नहीं दिखते लेकिन आमतौर पर कुछ दिनों बाद इसमें निम्नलिखित लक्षण दिखने लगते हैं –

सेप्टिक गठिया
सेप्टिक गठिया के कारण घुटने का दर्द
  • घुटनों में सूजन
  • दर्द
  • घुटनों में लालिमा और
  • बुखार इत्यादि

3. यांत्रिक समस्या के कारण

कुछ यांत्रिक (मैकेनिकल) समस्याओं के कारण भी घुटनों में दर्द होने लगता है जैसे कि –

  • थिसिलता
  • इलियोटिबियल सिंड्रोम
  • घुटनों की कटोरी का विस्थापित होना
  • कूल्हे या पैर के दर्द के कारण इत्याद

थिसिलता

कभी-कभी घुटने में चोट लग जाने के कारण या हड्डियों या उपस्थियों के आंतरिक घिसाव के कारण हड्डी/उपास्थि का छोटा टुकड़ा टूट जाता है और अन्दर ही लटकने लगता है। वैसे तो यह झूलता टुकड़ा कोई समस्या पैदा नहीं करता है लेकिन यदि यह घुटने के जोड़ के बीच, मूवमेंट में फंसने लगे तो घुटने में तेज दर्द और विशेष प्रकार की असहजता पैदा कर देता है।

इस यांत्रिक समस्या को आप ऐसे समझ सकते हैं जैसे की साइकिल के फ्लाईव्हील में कोई घास का टुकड़ा या कपड़ा फस जाए तो साइकिल आगे नहीं बढ़ती।

इलियोटीबियल बैंड सिंड्रोम

इलियोटीबियल बैंड सिंड्रोम तब होता है जब इलियोटीबियल बैंड किसी कारण से अधिक कठोर/कड़ा हो जाता है। यह कड़ापन घुटने में जॉइंट के मूवमेंट में अवरोध उत्पन्न कर घुटने के दर्द का कारण बनता है।

इलियोटीबियल बैंड सिंड्रोम उन लोगों में होने की ज्यादा संभावना होती है जो अधिक दूर तक दौड़ते हैं या साइकिल चलाते हैं।

इलियोटीबियल बैंड सिंड्रोम
इलियोटीबियल बैंड सिंड्रोम – घुटने का दर्द

घुटने की कटोरी का विस्थापित होना

इसे डिसलोकेटेड नी कैप (Dislocated kneecap) भी कहते हैं, यह तब होता है जब आपके घुटने की कटोरी (पटेला) अपनी जगह से इधर-उधर खिसक जाती है। इसे व्यक्ति अपनी आंखों से भी देख सकता है। डिसलोकेटेड नी कैप में कई बार घुटने का दर्द इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि पेसेंट को जमीन पर पैर रखने में भी काफी दिक्कत होती है।

डिसलोकेटेड नी कैप - घुटने की कटोरी का विस्थापित होना
घुटने की कटोरी का विस्थापित होना

कुल्हे या पैर में दर्द के कारण

कूल्हे या पैर में दर्द (Hip or foot pain) होने पर कई मरीज अपने चलने के तरीके को बदल देते हैं जैसे – पैर टेढ़ा रखकर चलना इत्यादि।

सामान्य चाल में बदलाव के कारण यह आपके घुटने में अधिक दबाव (स्ट्रेस) डालती है जो घुटने में दर्द का कारण बन सकता है।

4. किसी विटामिन की कमी से कारण

शरीर में जरूरी विटामिन जैसे – विटामिन-सी, विटामिन डी और कैल्शियम की कमी भी घुटनों और जोडों में दर्द का मुख्य कारण बन सकती है।

यदि समय रहते इस पर ध्यान नही दिया गया तो यह समस्या काफी बढ़ सकती है और घुटनों में स्थायी समस्या बना सकती है। विटामिन या जरूरी पोषक तत्वों की कमी से कई बार हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं और इसके आलावा जोड़ों के बीच चिकनाहट रखने वाला पदार्थ जिसे आम भाषा में ग्रीस कहते हैं, कम हो जाता है जिस कारण घुटने में दर्द और अनेक समस्याएं पैदा हो जाती है।

अन्य समस्याएं

पेटेलोफेमोरल सिंड्रोम जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है एक सामान्य शब्द है जो घुटने की कटोरी और अंतर्निहित जांघ के बीच उत्पन्न होने वाले दर्द से संबंधित है। यह आमतौर पर एथलीटों को ज्यादा प्रभावित करता है। इसके अलावा यह –

  • युवा/वयस्कों में जिनकी घुटने की कटोरी खांचे में ठीक से बैठी नही है, विकृत या असामान्य है
  • वृद्ध व्यस्को में जो गठिया से पीड़ित हैं

इत्यादि को भी अपनी चपेट में ले लेता है जिस कारण उन्हें घुटने का दर्द होने लगता है।

घुटने का दर्द बढ़ाने वाले कारक (Factors responsible for knee pain)

घुटने का दर्द कई कारणों से होता है लेकिन कुछ कारक ऐसे हैं जो घुटने के दर्द को बढ़ाने का कार्य करते हैं जैसे –

  • अधिक वजन या मोटापा – अधिक वजन या मोटापा होने से घुटनों के जोड़ों पर ज्यादा दबाव पड़ता है। अधिक वजन वाला व्यक्ति जब सीढ़ी चढ़ता है तो कई बार कार्टिलेज में ज्यादा तनाव उत्पन्न हो जाता है और वे टूट जाती हैं इस प्रकार उसे घुटने का दर्द हो जाता है। मोटे व्यक्तियों में गठिया (अर्थराइटिस) होने की संभावना भी दुबले व्यक्तियों की अपेक्षा अधिक होती है।
  • मांसपेशियों की कमजोरी – मजबूत मांसपेशियां आपके जोड़ों को स्थिर और सुरक्षित रखने में मदद करती हैं लेकिन यदि मांसपेशियां कमजोर हैं तो घुटनों में छोटी-मोटी चोट लग जाने पर भी क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और घुटने में दर्द पैदा कर देती हैं।
  • खेल या व्यवसाय – कई प्रकार के खेल जैसे – फुटबॉल, वॉलीबॉल, बैडमिंटन, क्रिकेट इत्यादि ऐसे होते हैं जो आपके घुटनों पर ज्यादा तनाव डालते हैं इन्हें खेलते वक्त कई बार आपको उछलना, कूदना, छलांग लगाना या दौड़ना पड़ता है। थोड़े समय में कई बार कूदने या दौड़ने जैसी गतिविधियां घुटनों के जोड़ पर अचानक दबाव बनाती हैं जिससे घुटने में दर्द होने लगता है। इसी प्रकार कुछ ऐसे व्यवसाय होते हैं जिनमें ज्यादा भागदौड़ होती है। इस प्रकार के व्यवसाय या नौकरियां घुटने के दर्द के जोखिम को बढ़ा देती हैं।
  • पुरानी चोट – किसी भी प्रकार की पुरानी चोट आपके घुटने के दर्द की संभावना को अधिक बढ़ा देती है।

जटिलताएं (Complications)

सभी प्रकार के घुटनों के दर्द (Gutne ke dard) गंभीर नहीं होते लेकिन कुछ चोंटें या मेडिकल कंडीशन जैसे कि – ओस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) इत्यादि का उपचार यदि समय पर नहीं किया गया है तो ये घुटने के दर्द (knee pain) को बहुत ज्यादा बढ़ा देते हैं या जोड़ों को खराब कर देते हैं या कई बार तो पूरी तरह से अपंगता भी पैदा कर देते हैं। छोटी-मोटी घुटने की चोट भी बड़े खतरे का कारण बन सकती है इसलिए इसे कभी नजरअंदाज ना करें।

घुटने के दर्द की रोकथाम / उपाय (Knee pain preventive measures)

हमेशा यह संभव नहीं हो पाता कि आप अपने घुटनों को बिल्कुल सुरक्षित रख पाएं। आखिर कौन जनता है कि भविष्य में क्या होने वाला है? लेकिन फिर भी हम आपको कुछ सुझाव दे रहे हैं ताकि आप अपने घुटनों को यथासंभव सुरक्षित रख सकें –

वजन न बढ़ने दें

दरअसल अपने वजन को संतुलित रखना, घुटने के दर्द से बचाव का सबसे कारगर उपाय है। अधिक वजन घुटनों के जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव बनाते हैं जिस कारण मोच या पुराने अर्थराइटिस की पुनरावृत्ति की संभावना बढ़ जाती है।

आपके कार्य के प्रति सजग रहें

खासकर यदि आप खिलाड़ी हैं तो अपने शरीर की मांसपेशियों को खेल की मांग के अनुसार चुस्त और तैयार रखें इसके लिए आप निरंतर प्रैक्टिस कर सकते हैं – जैसे क्रिकेट, वॉलीबॉल, फुटबॉल या रेसलिंग करने वाले लोग अपने मांसपेशियों को जरूरत के अनुकूल मजबूत बनाए रखें।

सावधानी से अभ्यास करें

ज्यादा जोखिम वाले स्पोर्ट्स की प्रैक्टिस की शुरुआत सदैव ही किसी विशेषज्ञ की देखरेख में करें इससे आप कई बार अनावश्यक इन्जरी से बच सकते हैं।

मांसपेशियों को चुस्त और मजबूत रखें

कमजोर शरीर अनेक बीमारियों का घर होता है। प्रायः यह देखा गया है कि दुर्बल मांसपेशियां घुटने के दर्द का प्रमुख कारण बनती हैं।

अच्छे खान-पान के साथ नियमित व्यायाम जरूरी है। व्यायाम करते रहने से मांसपेशियां मजबूत होती हैं और आपके घुटनों को ताकतवर बनाती हैं। शोध में यह भी पाया गया है कि जो कठोर (Tight) मांसपेशियों (muscles) होती हैं वह खुद ही मोच का कारण बनती है, इसलिए जरूरी है कि स्ट्रैचिंग करते रहें और शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा देते रहें ताकि आपके शरीर में फ्लैक्सिबिलिटी बनी रहे।

व्यायाम करते समय सावधानी रखें

यदि आपको पुराना गठिया, घुटने का दर्द या बार-बार मोच/चोट आ जाती है तो आपको व्यायाम करने के तरीके में तुरंत बदलाव की जरूरत है। इसके लिए आप कुछ दिनों के लिए अधिक मेहनत वाली एक्सरसाइज छोड़कर कम मेहनत वाली एक्सरसाइज जैसे – तैरना, जल एरोबिक या अन्य गतिविधियां बढ़ा सकते हैं इससे आपके घुटने के दर्द में काफी हद तक आराम मिलेगा और अग्रिम नुकसान की रोकथाम भी स्वतः हो जाएगी।

घुटने के दर्द की जांच (Tests)

घुटने के दर्द की जांच मुख्य रूप से तीन प्रकार से की जाती है –

फिजिकल जांच

  • इसमें डॉक्टर आपके घुटनों के सूजन, दर्द, कड़ापन, लालिमा या कालेपन का अपनी आंखों से निरीक्षण करेगा।
  • आपके पैर को विभिन्न दिशाओं में मोड़ कर देखेगा या
  • आपके घुटनों की बनावट या इसमें बदलाव को देखेगा

इमेजिंग टेस्ट

इमेजिंग टेस्ट के अंतर्गत डॉक्टर आपको निम्नलिखित में से कोई एक या अधिक जांच करवाने का परामर्श देगा –

  • एक्स-रे
  • सीटी स्कैन (CT Scan)
  • अल्ट्रासाउंड या
  • एमआरआई (MRI)

लैब पैथोलॉजी जांच

इसमें डॉक्टर आपके शरीर में इंफेक्शन या घुटने में सूजन का कारण पता लगाने के लिए खून की जांच करवाएगा जैसे –

  • सीबीसी (CBC)
  • ईएसआर (ESR)
  • सीआरपी (CRP)
  • डी-डाइमर इत्यादि

घुटने के दर्द का इलाज / उपचार

घुटने के दर्द का इलाज, मुख्य रूप से घुटने के दर्द के कारणों पर निर्भर करता है। यदि घुटने के दर्द के इलाज की बात करें तो डॉक्टर इसमें चार प्रकार के तरीकों को अपनाते हैं।

1. दवाइयां

दर्द से छुटकारा देने और दर्द की वजह जैसे – रूमेटाइड गठिया या गाउट गठिया को दूर करने के लिए डॉक्टर आपको कुछ दवाइयां देता है।

2. थेरेपी

आपकी मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए चिकित्सक आपको एक विशेष प्रकार की थेरेपी देते हैं। यह थेरेपी न केवल आप के दर्द में तुरंत राहत देती है बल्कि दर्द के कारणों को भी दूर भगाने में सहायक होती हैं।

3. इंजेक्शन

आवश्यकता पड़ने पर कई बार डॉक्टर आपके जॉइंट्स (जोड़ों) में सीधे इंजेक्शन लगाकर घुटने के दर्द का इलाज करने का प्रयास करते हैं।

4. ऑपरेशन

हर मामले में या प्रत्येक प्रकार के घुटने के दर्द में ऑपरेशन करवाना जरूरी नहीं होता है लेकिन कई बार आवश्यक पड़ने पर डॉक्टर आपको ऑपरेशन की सलाह देता है

सर्जरी चाहे कितनी भी अच्छे डॉक्टर द्वारा की जाए लेकिन प्रत्येक ऑपरेशन के कुछ फायदे और नुकसान होते हैं इसलिए जहां तक संभव हो सके तो स्थिति को इस स्तर पर पहुंचने से पहले ही संभालने का प्रयास करना चाहिए किंतु फिर भी यदि आप सर्जरी करवाने का निर्णय लेते हैं तो नीचे दिए गए विकल्पों पर विचार कर सकते हैं –

  • आर्थ्रोस्कोपिक सर्जरी – आर्थ्रोस्कोपिक सर्जरी (Arthroscopic surgery) की कुछ सीमाएं हैं इस कारण हर मामले में यह संभव नहीं है। इसमें डॉक्टर आपके घुटनों में छोटा सा चीरा लगाकर एक ऑप्टिक कैमरा की मदद से बढ़े हुए, खराब या अनुपयोगी टिसू, बोन्स या कार्टिलेज को बाहर निकालकर आपके घुटनों की मरम्मत करते हैं।
  • घुटने का आंशिक रिप्लेसमेंट – इसे पार्सियल नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी (Partial knee replacement surgery) कहते हैं, इसमें डॉक्टर आपके घुटनों के केवल सबसे ज्यादा क्षतिग्रस्त भाग को निकाल देते हैं और उसकी जगह मेटल या प्लास्टिक लगा देते हैं।
  • पूरे घुटने का रिप्लेसमेंट – इस विधि को टोटल नी रिप्लेसमेंट (Total knee replacement) कहते हैं, इस प्रक्रिया में सर्जन आपकी जांघ की हड्डी, पिंडली या घुटने की क्षतिग्रस्त हड्डी/उपास्थि को काटकर उसे मेटल एलॉय या प्लास्टिक या पॉलीमर की से बनी कृतिम जॉइंट (जोड़) से बदल देते हैं।
  • ऑस्टियोटोमी (Osteotomy) – इस प्रक्रिया में घुटने को बेहतर ढंग से संरक्षित करने के लिए कुछ बोन्स को निकाल दिया जाता है, अर्थराइटिस गठिया के दर्द में राहत के लिए भी इस विधि का प्रयोग किया जाता है।

घुटने का दर्द घरेलू उपाय / उपचार (Home remedies)

सामान्यतः घुटनों के दर्द के इलाज में डाक्टर आपको गोली-दवाइयां, पेन रिलीवर और लोशन देते हैं। हालाँकि घुटने के दर्द को भागने के लिए कई बार घरेलू उपाय भी काफी कारगर साबित होते हैं, इन घरेलू उपायों के अंतर्गत आप अपने घुटनों की स्वतः देखभाल करके घुटनों के दर्द से बच सकते हैं।

घुटने के दर्द के घरेलू उपाय / उपचार निम्नलिखित हैं –

भरपूर आराम करें

आराम करने से न केवल आपके जोड़ों का तनाव कम होता है बल्कि जो भी चोट-मोट होगी वह भी जल्दी भरेगी। छोटी-मोटी चोट के लिए 1 या 2 दिन का आराम पर्याप्त है लेकिन यदि बीमारी ज्यादा गंभीर है तो इसमें थोड़े अधिक समय तक आराम करना पड़ सकता है।

बर्फ

बर्फ दर्द और सूजन को कम करती है इसलिए घुटनों में बर्फ की सेंक लगाने से कई बार रोगी को काफी आराम मिलता है। आप अपनी त्वचा को सुरक्षित रखने के लिए एक टॉवल में बर्फ का टुकड़ा लेकर घुटनों में सेंक लगा सकते हैं। यह थेरेपी एकदम सुरक्षित और प्रभावी है। आप इस बात का ध्यान जरूर रखें कि एक बार में 20 मिनट से ज्यादा समय तक बर्फ की सेंक न लगाएं क्योंकि ऐसा करने पर आपकी त्वचा में झुर्रियां आ जाएंगी और यह आपके नसों को भी नुकसान पहुंचा सकता है।

ताप

आपके घुटनों में दर्द वाली जगह पर थोड़ा ताप देकर भी आप घुटने के दर्द से अस्थाई राहत पा सकते हैं। दर्द वाली जगह पर आप गर्म हल्दी का लेप या गर्म पानी की बोतल लगा सकते हैं।

संपीड़न / मालिश

मालिश करने से यह छतिग्रस्त उसको में अनावश्यक द्रव निर्माण को रोकता है। मालिश (Compression) करने से यह चोट पर जमे हुए खून के थक्के को भी तोड़ता है और रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है। इसके अतिरिक्त आप कंप्रेशन बैंडेज का भी उपयोग कर सकते हैं, कंप्रेसर बैंडेज आपके घुटनों को सहारा देने का काम करेगा जिससे आपकी चोट-मोच में जल्दी भरपाई होगी और घुटने का दर्द दूर भाग जायेगा।

पैरों को ऊंचाई पर रखें

इसे एलिवेशन (Elevation) के रूप में भी जाना जाता है, पैर को तकिए पर रखकर आराम करने या सोने से भी घुटने के दर्द में आराम मिलता है। यदि आप घुटनों के दर्द से अक्सर परेशान रहतें है तो ऊपर बताये गये घुटने के दर्द के घरेलू उपाय / उपचार को आजमा सकते हैं।

घुटने के दर्द का अन्य इलाज / उपचार (Knee pain treatment)

उपरोक्त वर्णित उपचारों के अलावा एक्यूप्रेशर भी घुटनों के दर्द में राहत देता है। कई बार तो ऐसा देखा गया है कि एक्यूप्रेशर के कारण लोगों के घुटनों का दर्द हमेशा के लिए दूर चला जाता है।

इसलिए यदि घरेलू उपाय अजमाने के बाद भी आपको आराम नही मिल रहा तो “एक्यूप्रेशर” आपके घुटनों के इलाज के लिए एक दूसरा विकल्प हो सकता है

घुटने का दर्द – जरूरी बातें

यहाँ से जुड़ी कुछ जरूरी बातें बताई जा रही हैं, यदि आप भी knee pain से परेशान हैं तो निम्नलिखित बातों पर ध्यान दें और इन्ही के आधार पर अपने चिकित्सक से सलाह लें –

  • घुटने का दर्द आपको कब से शुरू हुआ है?
  • क्या किसी विशेष चोट के बाद दर्द होना शुरू हुआ है?
  • क्या दर्द हमेशा होता है या कभी-कभी?
  • दर्द क्या बहुत तेज होता है?
  • क्या कुछ करने के बाद दर्द से राहत मिलती है?
  • कब और क्या कुछ करने के बाद दर्द बढ़ जाता है?
  • क्या किसी दवा या सप्लीमेंट का प्रयोग करने के बाद घुटने का दर्द शुरू हुआ है? इत्यादि

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