Importance of education in Hindi - शिक्षा का महत्त्व क्या है? अर्थ, परिभाषा, प्रकार और विशेषताएं

शिक्षा का महत्त्व क्या है? अर्थ, महत्त्व, परिभाषा, प्रकार और विशेषताएं

0
(0)

शिक्षा व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, यह मानव विकास का मूल आधार है। मनुष्य इस संसार में असहाय अवस्था में अवतरित होता है किन्तु शिक्षा ही है जिसके माध्यम से उसके आत्मिक शक्तियों एवं शारीरिक, मानसिक क्षमताओं का विकास होता है। शिक्षा को ज्ञान ज्योति माना जाता है।

महात्मा गाँधी के अनुशार- शिक्षा का अर्थ केवल पुस्तकीय ज्ञान अर्जित करना नहीं है, बल्कि शिक्षा वो है जो लोगों के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करें।

इस लेख में हम आपको शिक्षा के उद्देश्य, महत्त्व, और विशेषताएं इत्यादि के बारे में आवश्यक जानकारी देंगे। इस लेख को आप शिक्षा के महत्त्व पर निबंध के रूप में भी उपयोग कर सकते हैं।

शिक्षा शब्द की उत्पत्ति

‘शिक्षा’ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के दो शब्दों ‘शिक्ष्’ और ‘शाक्ष्’ से मिलकर हुई है। शिक्ष्: का अर्थ है सीखना और शाक्ष् का अर्थ है सिखाना। इस प्रकार ‘शिक्षा’ शब्द का मतलब हुआ सीखने-सिखाने की क्रिया

अंग्रेजी में शिक्षा के लिए ‘एजुकेशन’ (Education) शब्द का प्रयोग किया जाता है। यह शब्द लैटिन भाषा के ‘एजुकेटम’ (Educatum) शब्द से बना है, जिसका अर्थ है ‘प्रशिक्षित करना‘। ‘एजुकेटम’ आगे दो शब्दों से मिलकर बना है:

  • ई (E): अंदर से बाहर की ओर
  • ड्यूको (Duco): आगे बढ़ना या विकसित होना।

शिक्षा की परिभाषाएं

  • क्रो एंड क्रो के अनुसार – “शिक्षा मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है।”
  • महात्मा गाॅंधी के अनुसार – “शिक्षा से तात्पर्य मानव के सर्वांगीण एवं सर्वोत्कृष्ट विकास से है।”
  • स्वामी विवेकानंद के अनुसार – “बच्चों की अंतरहित निरंतरता को प्रकाशित करना ही शिक्षा है।”
  • हर्बट स्पेंसर के अनुसार – “शिक्षा का अर्थ अन्त: शक्तियों को वाहय जीवन से समन्वय निर्धारित करना।”
  • रविंद्रनाथ टैगोर के अनुसार – “सर्वोच्च शिक्षा वह जो हमें केवल सूचनाएं नहीं देती बल्कि हमारे जीवन और संपूर्ण दृष्टि में तादात्म स्थापित करती है।”
  • जॉन ड्यूवी के अनुसार – “शिक्षा व्यक्ति की उन सभी आंतरिक शक्तियों का विकास है जिससे वह अपने आस-पास के क्षेत्र पर नियंत्रण रखकर अपने जिम्मेदारियों निर्वाह कर सकें।”
  • जिद्दू कृष्णमूर्ति के अनुसार – “शिक्षा मनुष्य के समन्वित विकास की भगत प्रगति है।”

यह भी पढ़ें – समावेशी शिक्षा क्या है?

शिक्षा के प्रकार

वर्तमान में शिक्षा के तीन रूप प्रचलित हैं जो इस प्रकार हैं –

1. औपचारिक शिक्षा

यह विद्यालयों, महाविद्यालयों आदि में एक निर्धारित पाठ्यक्रम और समय के अनुशार दी जाने वाली शिक्षा है। इसमें समय और पाठ्यक्रम के साथ लोग और जगह भी निश्चित होते हैं और शिक्षा के अंत में परीक्षा ली जाती है। यह कठोर अनुशासन को प्राथमिकता देती है। इसे कक्षा-शिक्षण प्रणाली के नाम से भी जाना जाता है।

2. अनौपचारिक शिक्षा

रोज़मर्रा के जीवन में परिवार, समाज, मित्रों या अन्य अनुभवों से प्राप्त होने वाली शिक्षा को अनौपचारिक शिक्षा कहते हैं। यह एक मुक्त शिक्षा प्रणाली होती है इसमें कुछ भी निश्चित नहीं होता बल्कि बालक स्वयं अपने अनुकरण से सीखता है। वायगोत्स्की का सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत इसी शिक्षा पर आधारित है।

3. निरौपचारिक शिक्षा (Non formal education)

यह शिक्षा का एक लचीला स्वरूप है जो कुछ उद्देश्यों के साथ दी जाती है, किंतु समय-सारणी एवं स्थान के मामले में औपचारिक शिक्षा जैसी कठोर नहीं होती।

शिक्षा का उद्देश्य

शिक्षा का मूल उद्देश्य किसी व्यक्ति में आत्म-ज्ञान, संयम और सहानुभूति जैसे गुणों का विकास करना है इसके अतिरिक्त इसके उद्देश्यों में:

  • ज्ञान और कौशल की प्राप्ति
  • व्यक्तिगत विकास
  • आत्मनिर्भरता
  • व्यक्तित्व और आत्म-सम्मान का विकास
  • नैतिक मूल्यों का विकास
  • सृजनात्मकता
  • शारीरिक विकास
  • जीविका उपार्जन
  • चरित्रिक विकास
  • संस्कृतिक विकास
  • सामाजिक विकास
  • सामाजिक न्याय
  • सामाजिक बुराइयों का उन्मूलन
  • जागरूकता
  • राष्ट्रीय विकास
  • आध्यात्मिक विकास
  • पूर्ण जीवन की प्राप्ति इत्यादि शामिल हैं।

अरबिंदो के अनुशार शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य उस छिपी हुई आत्मा को बाहर निकलना होना चाहिए जो सर्वोत्तम है तथा इसे उचित प्रयोग के लिए उत्तम बनाना है।

आवश्यकता और महत्त्व

जिस प्रकार मनुष्य के शरीर में विकास के लिए भोजन की आवश्यकता होती है, ठीक उसी प्रकार मनुष्य के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास हेतु शिक्षा अत्यंत आवश्यक है।

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। शिक्षा के द्वारा ही शिशु बड़ा होकर समाज का उपयोगी एवं सक्रिय सदस्य बनता है। शिक्षा सीखने और सिखाने की प्रक्रिया है, जो जीवन से लेकर मृत्यु तक चलती रहती है। शिक्षा का महत्व निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:

  • शिक्षा व्यक्ति के व्यक्तित्व को विकसित करती है और आत्मविश्वास बढ़ाती है।
  • शिक्षा ज्ञान का स्रोत है। शिक्षा से व्यक्ति को विभिन्न विषयों का ज्ञान प्राप्त होता है।
  • शिक्षा व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाती है और उसे अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद करती है।
  • शिक्षा बेहतर रोजगार के अवसर प्रदान करती है और जीवन स्तर को बेहतर बनाने में मदद करती है।
  • शिक्षा समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शिक्षित व्यक्ति समाज के लिए उपयोगी योगदान दे सकते हैं।
  • शिक्षा राष्ट्रीय विकास के लिए आवश्यक है। शिक्षित व्यक्ति देश के विकास और समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।

यह भी पढ़ें – राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा

शिक्षा की प्रकृति एवं विशेषताएं

शिक्षा की प्रकृति एवं विशेषताएं कुछ इस प्रकार हैं

  • शिक्षा सर्वव्यापी है, यह जीवन के हर पहलू में मौजूद है।
  • यह गतिशील है जो समय, स्थान, आवश्यकताओं और परिस्थितियों के अनुसार बदलती रहती है।
  • शिक्षा अनजान शक्तियों को विकसित करती है।
  • यह आजीवन (Life long) है और जन्म से मृत्यु तक चलती है।
  • शिक्षा की प्रकृति सर्वांगीण है, यह व्यक्ति के ज्ञान, कौशल, और मूल्यों का सर्वांगीण विकास करती है।
  • शिक्षा एक द्विमुखी प्रक्रिया (शिक्षक-शिक्षार्थी) है।
  • शिक्षा एक व्यवस्थित प्रक्रिया है। इसमें पाठ्यक्रम, शिक्षण विधियां, और मूल्यांकन प्रणाली शामिल होती है।

विशेषताएं –

  • शिक्षा देश, समाज और लोगों में विकासात्मक परिवर्तन लाती है।
  • इसका एक निश्चित उद्देश्य होता है। यह व्यक्ति के ज्ञान, कौशल, और मूल्यों का विकास करने के लिए प्रदान की जाती है।
  • शिक्षा वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित होती है। यह व्यक्ति को तर्कसंगत सोचने और समस्याओं का समाधान करने के लिए तैयार करती है।
  • यह व्यक्ति को अपनी संस्कृति और परंपराओं से परिचित कराती है।
  • यह व्यक्ति को समाज का एक जिम्मेदार नागरिक बनाती है।
  • शिक्षा व्यक्ति में नैतिक मूल्यों, जैसे – सत्य, अहिंसा, और न्याय का विकास करती है।
  • शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है (शिक्षक विषय और छात्र)।
  • शिक्षा व्यक्तिगत होती है। प्रत्येक व्यक्ति की अपनी सीखने की क्षमता और गति होती है।

यह भी पढ़ें – सूक्ष्म शिक्षण क्या है?

निष्कर्ष

शिक्षा मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह व्यक्ति और समाज के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। शिक्षा से व्यक्ति को ज्ञान, कौशल, और आत्मनिर्भरता प्राप्त होती है। शिक्षा समाज में फैली बुराइयों, जैसे- अंधविश्वास, जातिवाद, और लैंगिक भेदभाव को दूर करने और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शिक्षा राष्ट्रीय विकास के लिए भी आवश्यक है।

सबसे ज्यादा पढ़े गये लेख:

How useful was this?

Click on a star to rate it!

Average rating 0 / 5. Vote count: 0

No votes so far! Be the first to rate this.

We are sorry that this was not useful for you!

Let us improve this!

Tell us how we can improve this?

Leave a Comment